बहुत वर्ष पहले एक विज्ञापन आया था, नैनो कार का था- टाटा का सपना, हर मुट्ठी में एक चाभी (कार की)। विज्ञापन निसंदेह लुभावना था, लोभ शब्द से बना है लुभावना। हम यह भी चाहते हैं कि हरेक के पास अपनी कार हो और हम पर्यावरण खराब होने, बढ़ते प्रदूषण …
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ओपनियन
देघाट गोलीकांड की बरसी पर विशेष: भारत छोड़ो आंदोलन का एक अविस्मरणीय पड़ाव
भारत छोड़ो आंदोलन में उत्तराखंड की महत्वपूर्ण भूमिका रही। देघाट, सालम और सल्ट की क्रान्तियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति प्रदान की। पहाड़ में 1910 के बाद अंग्रेजी हुकूमत द्वारा जनविरोधी कानूनों को जबरन थोपने के खिलाफ स्थानीय स्तर पर लोगों में असंतोष पनप रहा था। हालांकि इसके बीज …
Read More »वो आविष्कार, जिन्होंने भारतीय समाज को इंडिया बना दिया..
सन अस्सी का दशक अभी शुरू ही हो रहा था। गाँव, गलियां, मोहल्ले, कस्बे, नुक्कड़, चौपाल जीवंत थे। पार्क , बगीचों, खाली मैदान बच्चों की धमाचौकड़ी से खिलखिलाते रहते थे। गाँव के चौपाल ठहाकों से गूंजते थे, पेड़ों पर लड़कियां झूलती थीं, नुक्कड़ पर पान की दुकान-चाय के खोखे चहलपहल …
Read More »अधमरे सिस्टम में क्या जिन्दा और क्या मुर्दा..?
खबर थी कि मृत शिक्षक का तबादला कर दिया गया। यह कोई नयी खबर नहीं है, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, पहले भी हो चुका है और सूरते हाल यही रहे (नयी शिक्षा नीति लागू होने के बावजूद) तो आगे भी होता रहेगा। चार वर्ष तक किसी को पता …
Read More »पुण्यतिथि पर विशेष.. पहाड़ की संवेदनाओं के कवि कन्हैयालाल डंडरियाल
हमारे कुछ साथी उन दिनों एक अखबार निकाल रहे थे। दिनेश जोशी के संपादन में लक्ष्मीनगर से ‘शैल-स्वर’ नाम से पाक्षिक अखबार निकल रहा था। मैं भी उसमें सहयोग करता था। बल्कि, संपादक के रूप में मेरा ही नाम जाता था। यह 2004 की बात है। हमारे मित्र शिवचरण मुंडेपी …
Read More »‘विद्यालयों को प्रयोगशाला नहीं ज्ञानार्जन का केंद्र बने रहने दें सरकार’.. पढ़ें डॉ. गिरीश चंद्र तिवारी की यह टिप्पणी
इंडिया भारत न्यूज डेस्क, 23 मई, 2022 उत्तराखंड बनने से अगर कोई विभाग प्रभावित हुआ तो सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग। इस विभाग में आये दिन नित नये-नये प्रयोग आजमाने में मंत्री, अधिकारी तथा मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। विभाग द्वारा विद्यालयी विकास के लिए सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय …
Read More »पुण्यतिथि पर विशेष.. पहाड़ की संवेदनाओं के कवि थे शेरदा ‘अनपढ़’
मेरी ईजा (मां) बग्वालीपोखर इंटर कालेज के दो मंजिले की बड़ी सी खिड़की में बैठकर रेडियो सुनती हुई हम पर नजर रखती थी। हम अपने स्कूल के बड़े से मैदान और उससे लगे बगीचे में ‘लुक्की’ (छुपम-छुपाई) खेलते थे। जैसे ही ‘उत्तरायण’ कार्यक्रम आता ईजा हमें जोर से ‘धात’ लगाती। …
Read More »यहाँ अब बच्चे नहीं उगते… बंजर खेत, खण्डहर मकान …
कल हमने धूमधाम से प्रवेशोत्सव मनाया था … तीन बच्चों ने प्रवेश लिया.. तो सोचा आज साथियों के साथ पास के गाँवों में घूमघाम लिया जाय. ताकि पता तो चले कि बच्चे स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं। दस वर्ष पहले यहाँ आया था… तब से, जब भी समय मिलता …
Read More »यूरोप का उग्र राष्ट्रवाद.. नस्ल-भाषा-संस्कृति-धर्म का सतत संघर्ष और विखंडन
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद बहुत संभव है कि नक़्शे पर दो नए देश और दिखाई दें। नस्ल–भाषा–संस्कृति–धर्म के आधार टिके उग्र राष्ट्रवाद के नाम यूरोपीय देशों का विखंडन कोई नयी बात नहीं है (राष्ट्रवाद शब्द ही यूरोपीय राजनैतिक दर्शन की देन है)। विखंडन की यह प्रक्रिया बहुत …
Read More »संयुक्त राष्ट्र संघ… संदिग्ध भूमिका का एक गिरोह
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद UNO द्वारा उस पर कई प्रतिबन्ध लगाने की चर्चा है। लेकिन यही UNO उस समय खामोश हो जाता है, जब अमेरिका और ब्रिटेन (Anglo- Sexton नस्ल आधारित गठबंधन ) के हित सामने होते हैं। फाकलैंड द्वीप समूह दक्षिण अमेरिका में अर्जेंटीना के समीप …
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