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Tag Archives: Holi par kavita

डॉ. हेम चन्द्र तिवारी की कविता- ‘भीतर की आग में दहा करें…’

डॉ. हेम चंद्र तिवारी

भीतर की आग में दहा करें जब प्रेम कलश मनुहार भरे, चलती मतवालों की टोली। कुछ रंग हास के खास लिए, अनगढ़, अबूझ अठखेली। फागुन के फाग समेट राग, कुंचित अलकों पर प्रेम साज, सतरंगी नभ करती जाती, प्रिय मिलन हृदय जलती बाती। पावस का यह है सुखद पर्व, जन …

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