अल्मोड़ा। लोक प्रबंध विकास संस्था द्वारा ईनाकोट में बैठक आयोजित की गई। इस दौरान हिमालय के सवालों पर विमर्श किया गया तथा हिमालय बचाने की शपथ ली गई।
बैठक में लोक प्रबंध विकास संस्था के संचालक ईश्वर जोशी ने कहा कि हिमालयी राज्यों में हर वर्ष तेजी से बढ़ रही आपदाएं गंभीर चिंता का विषय है। इन आपदाओं के माध्यम से प्रकृति स्पष्ट संदेश दे रही है कि अपने स्वार्थ के लिए मानव द्वारा उसके साथ की जा रही छेड़छाड़ अब प्रकृति के बर्दाश्त से बाहर हो गई है। उन्होंने विकास योजनाओं के निर्माण में पहाड़ की संवेदनशीलता को ध्यान में रखने की आवश्यकता बताई।
जोशी ने कहा कि 26 जून 2010 को हैस्को देहरादून में उत्तराखंड के रचनाधर्मियों एवं आंदोलन कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक वर्ष 9 सितम्बर को संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में हिमालयी सरोकारों के लिए हिमालय दिवस मनाने का संकल्प लिया था। इस प्रकार लोक प्रबंध विकास संस्था प्रारंभ से ही इस कार्यक्रम का हिस्सा रही है।
पारिस्थितिकी विकास समिति सुनौली के अध्यक्ष सुशील कांडपाल ने कहा कि हिमालय को बचाने के लिए गांवों को बचाना होगा। उन्होंने गांव बचाने व पलायन रोकने के लिए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य व आजीविका पर विशेष ध्यान दिए जाने पर बल दिया।
संसाधन पंचायत के पूरन सिंह भाकुनी ने कहा आज हिमालय क्षेत्र आपदाओं के प्रतीक बन गए हैं। यहां आने वाली अधिकांश आपदाएं मानव जनित है। उन्होंने हिमालयी विकास के मॉडल पर गहन अध्ययन की आवश्यकता बताई।
संस्था की दीप्ति भोजक ने नदी नालों के मार्ग में अतिक्रमण कर बनाए जा रहे भवनों एवं विभिन्न कार्यो के लिए जल को अवरुद्ध करने पर गहरी चिंता जताई।
बैठक को क्षेत्रीय संसाधन पंचायत की अध्यक्ष चंपा मेहता, पूर्व ग्राम प्रधान अशोक भोज, पूजा बोरा, राजेंद्र सिंह, हंसी पंत, लता रौतेला, रीता लोहनी आदि ने संबोधित किया।
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