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नेमप्लेट पर फंसी BJP! कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम बताने पर अंतरिम रोक लगा दी है। वही, इसको लेकर विपक्षी दलों के तमाम नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहे हैं। इस बीच एनडीए के घटक जनता दल यूनाइटेड ने भी इस आदेश का स्वागत किया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा यूपी में लोकसभा चुनाव में अपनी हार को पचा नहीं पाई है और इसलिए अपनी विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए विवादास्पद नेमप्लेट आदेश लेकर आई है।

कांग्रेस ने धार्मिक कांवर यात्रा मार्ग पर खाद्य विक्रेताओं को नेमप्लेट लगाने के लिए कहने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भाजपा सरकारों की आलोचना की थी। सोमवार को विवादास्पद निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उन्होंने स्वागत किया। कांग्रेस ने तीन राज्य सरकारों के विवादास्पद कदम को असंवैधानिक और विभाजनकारी करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एनडीए सहयोगी दल के नेता और जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, मैं कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं। हमें आशंका थी कि इस नियम से समाज बंट जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया। मैं इसके लिए आभारी हूं।

 

ये भारतीयों की जीत- महुआ मोइत्रा

इस मामले में याचिकाकर्ता और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) ने कहा कि हमें यूपी सरकार और मुजफ्फरपनगर पुलिस की तरफ से शुरू किए गए अवैध और असंवैधानिक कांवड़ यात्रा आदेश पर पूरी तरह से रोक मिली है। इस आदेश को पूरे यूपी और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में लागू किया गया था। उन्होंने आगे कहा इससे धार्मिक भेदभाव हो रहा था। हमने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस पर पूरी तरह से रोक लगाई है और किसी भी दुकान के मालिकों को अपना नाम दुकान के बाहर लिखने की जरूरत नहीं है। यह संविधान और भारत के सभी लोगों के लिए एक बड़ी जीत है।

 

अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाए आरोप

इस मामले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि दुकानों के सामने मालिक का नाम लिखने का निर्देश, इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने का फैसला भाजपा की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता की राजनीति अपने अंतिम चरण में है, इसलिए सरकार की तरफ से ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा वे (भाजपा) और भी ऐसे कदम उठाएंगे। वे सांप्रदायिक राजनीति को जीवित रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्य सरकारों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों की तरफ से जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद दुकानों के सामने दुकान मालिकों अपने नाम प्रदर्शित करने होंगे। मामले में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तिथि​ निर्धारित की गई है।

 

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