अल्मोड़ाः धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जहां एक ओर करोड़ों रूपये खर्च किए जा रहे है वही, दूसरी ओर आस्था व पर्यटन की दृष्टि से मशहूर प्रसिद्ध चितई मंदिर के पास लाखों रुपये की लागत से बना शौचालय खुद बदहाली के आंसू रो रहा है। बाहर से बिल्कुल ठीक दिखने वाला यह शौचालय अंदर गंदगी से पटा हुआ है। जिससे ऋद्धालु व पर्यटकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग मजबूरन खुले में शौच कर रहे है। जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लग रहा है।
जिला मुख्यालय से करीब 6 किमी की दूरी पर स्थित न्याय के देवता के रूप में प्रसिद्ध चितई ग्वल देवता मंदिर में हर रोज सैकड़ों ऋद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए आते है। इसके अलावा मशहूर पर्यटन स्थल होने के चलते कई सैलानी भी यहां पहुंचते है। लेकिन मंदिर आने वाले पर्यटकों व ऋद्धालुओं को शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं मिल पा रही है।
ऐसा नहीं है कि चितई में शौचालय नहीं है। पर्यटन विभाग द्वारा लाखों की लागत से यहां पर शौचालय का निर्माण कराया गया है। पानी की भी व्यवस्था हैं लेकिन सफाईकर्मी के अभाव में शौचालय गंदगी से पटा हुआ है। इस शौचालय में फैली गंदगी घर घर शौचालय बनवाने की जिम्मेदारी लेकर घूम रहे अधिकारियों को नहीं दिख रही है।
शौचालय साफ नहीं होने से सबसे अधिक महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चितई मंदिर के नजदीक खुले में शौच कर फैलाई जा रही गंदगी का जिम्मेदार कौन? शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं मिलने पर क्या पर्यटक दोबारा यहां का रूख करेंगे?
जिलाधिकारी वंदना ने बताया कि कि चितई मंदिर के पास बने शौचालय पूर्व में पानी की समस्या थी जिसका निस्तारण करा दिया गया था। जल्द ही सफाईकर्मी की व्यवस्था कर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।
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