अल्मोड़ा: सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ वामपंथी पार्टियों का जन अभियान जारी है। रविवार को नगरपालिका के स्व. विजय जोशी सभागार में तीन वामपंथी पार्टियों सीपीआई, सीपीआई एमएल, सीपीआईएम का जन सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें कई लोग शामिल हुए।
भाकपा माले के राज्य सचिव कॉमरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि प्रदेश में सांप्रदायिक उन्माद व धार्मिक विभाजन को फैलाकर सरकार अपनी विफलताओं को छिपा रही है। वर्तमान दौर में केंद्र और राज्य में बैठी भाजपा सरकार धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देते हुए प्रदेश में लव जिहाद और लैंड जिहाद का पिटारा खड़ा किया जा रहा है। लैंड व लव जिहाद के नाम पर लोगों को लड़ाने व बांटने की कोशिश की जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन शब्दों का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाले उक्त शब्द पूरी तरह से असंवैधानिक है पर मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति इसका इस्तेमाल करके नफरत को हवा दे रहे हैं।
मैखुरी ने कहा कि 4 फरवरी 2020 को संसद ने बताया था कि वर्तमान कानून में लव जिहाद परिभाषित नहीं है और किसी केंद्रीय एजेंसी ने लव जिहाद की किसी घटना की जानकारी नहीं दी है। अगस्त 2020 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में एसआईटी ने कथित 16 मामलों की जांच की और इस नतीजे पर पहुंची की कोई मामला लव जिहाद का नहीं था। लेकिन लव जिहाद के नाम पर उत्तराखंड के अल्पसंख्यक समुदाय के बीच में भय पैदा किया किया जा रहा है।
मैखुरी ने कहा कि लव जिहाद केवल अल्पसंख्यकों के विरोधी ही नहीं होकर यह महिला विरोधी भी है। सांप्रदायिक उन्माद फैलाने का अभियान बहुसंख्यक आबादी में मुट्ठी भर अल्पसंख्यकों का डर पैदा करके अपनी राजनीतिक वजूद को पुख्ता करने की कोशिश है। यह अफसोस की बात है कि भाजपा समान नागरिक संहिता के मामले का उपयोग भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए करना चाहती है।
मैखुरी ने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज देश की संसद से लेकर सड़क-गलियों तक ऐसी भाषा इस्तेमाल की जा रही है जो एक सम्प्रदाय विशेष के खिलाफ है।
सीपीआई के राज्य सचिव जगदीश कुनियाल ने कहा कि भाजपा के अपने नेता प्रदेश की जमीन बेचने के धंधे में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देहरादून में भाजपा का राज्य कार्यालय के लिए 2011 में खरीदी गई जमीन के मामले में देहरादून के अपर जिलाधिकारी ने नोटिस जारी किया है। कहा कि वर्तमान सरकार और माफिया का गठजोड़ प्रदेश में देखा जा सकता है। सत्ताधारी पार्टी की विचारधारा धर्म-जाति के विभेद पैदा करने की है। जब यह समान नागरिक संहिता की बात करते हैं तो उसकी नियत पर संदेह लाजमी है।
सीपीआई एम के राज्य सचिव मंडल के सदस्य कॉमरेड भोपाल सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के वास्तविक मामले तो रोटी, रोजगार के हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य के पलायन से खाली होते गांव, बंजर होते खेत और जंगली जानवरों का आतंक झेलते पहाड़ के निवासियों का सवाल बड़ा सवाल है। अस्पताल में इलाज न मिलना उत्तराखंड के लिए खास तौर पर पहाड़ी क्षेत्र के लिए अभी भी जिंदगी और मौत का सवाल है। उत्तराखंड में 68 हजार से अधिक पद रिक्त हैं लेकिन उत्तराखंड में हर भर्ती, घोटाले की भेंट चढ़ गई है। उत्तराखंड के सत्ता में बैठे लोगों के पास इन सवालों का कोई हल नहीं है।
सम्मेलन की अध्यक्षता किसान सभा के आर.पी जोशी व संचालन जनवादी नौजवान सभा के राज्य अध्यक्ष युसूफ तिवारी ने किया।
सम्मेलन में जनवादी महिला समिति की सुनीता पांडे, राधा नेगी, किसान सभा के आनंद नेगी, आइसा के निक्की बिष्ट, विपिन रावत, विक्की रावत, प्रकाश, दीपांशु, जनवादी नौजवान सभा के योगेश, सुशील कुमार, मुमताज अख्तर, बबलू आदि मौजूद रहे।
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