इंडिया भारत न्यूज डेस्क: हिमालयी राज्यों में वृहद चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए हमें नवीन व व्यापक आयाम वाले अनुसंधानों को बढ़ावा देना होगा। यह बात पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव नमिता प्रसाद ने राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (NMHS) की एक बैठक के दौरान कही।
नई दिल्ली पर्यावरण मंत्रालय में संपन्न बैठक से लौटे जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालीय पर्यावरण संस्थान, कटारमल एनएमएचएस के नोडल प्रमुख ईं. किरीट कुमार ने बताया कि एनएमएचएस की इस बार संपन्न 24वीं अर्थात वैज्ञानिक एवं तकनीकी सलाहकार समूह (स्टेग) की बैठक में विशेषज्ञों ने करीब एक दर्जन से अधिक अनुसंधान परियोजनाओं के चयनित प्रस्तावों को गंभीर चिंतन किया और विभिन्न हिमालयी राज्यों की आवश्यकताओं व नवीन चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें अग्रिम अनुमोदन हेतु भेजा।
इससे पूर्व डेढ दर्जन से अधिक अनुसंधान परियोजनाओं की 8वीं मूल्यांकन कार्याशाला भी आयोजित की गई जिसमें विभिन्न राज्यों में चल रही अनुसंधान परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर उन्हें आवश्यक निर्देश व मार्गदर्शन दिया गया। विभिन्न विशेषज्ञों ने जैव विविधता, संरक्षण, ई कचरे के प्रबंधन, आजीविका के नवीन विकल्पों व जल संरक्षण आदि क्षेत्रों में चल रहे नवीन अनुसंधानों को मौलिकता के साथ करने के सुझाव दिए।
इस अवसर पर नोडल अधिकारी द्वारा एनएमएचएस की अब तक की प्रगति व परियोजनाओं की स्थिति व उनकी उपलब्धियों पर संयुक्त सचिव महोदय के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया।
संयुक्त सचिव नमिता प्रसाद ने देश में नवीन अनुसंधानों को वैश्विक स्तर की गुणवत्ता बनाए रखने का सुझाव दिया और कहा कि एनएमएचएस के माध्यम से बड़ी संख्या में अनुसंधान प्रस्ताव आना सकारात्मक कदम है। उन्होंने नवीन क्षेत्रों में आ रहे अनुसंधान प्रस्तावों की भी सराहना की और कहा कि शोध संस्थानों व शोधकर्ताओं को परिणाममूलक अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जिसमें मंत्रालय सदैव उनका सहयोग करेगा। उन्होंने आपदा प्रबंधन, सौर उर्जा व संक्रामक बीमारियों, जल संरक्षण के नवीन मॉडलों आदि क्षेत्रों में किए जा रहे अनुसंधान कार्यों पर संतोष व्यक्त किया। कहा कि एनएमएचएस की ओर से व्यवहारिक व प्रासंगिक अनुंधान प्रस्तावों को मंजूरी करना व शोध गुणवत्ता को बनाए रखने की नीति को बरकरार रखना चाहिए।
इस अवसर पर अल्मोड़ा में एनएमएचएस अनुदान के तहत संचालित बिच्छू घास के संरक्षण व उत्पादों पर आधारित परियोजना के तहत तैयार ग्रीन हिल्स ट्रस्ट की पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
स्टैग विशेषज्ञ तथा मूल्यांकन कार्यशाला में इसरो से डॉ आई एम बहुगुणा, एमआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर० के कोहली, माउंटेन डिविजन प्रमुख डॉ सुसेन जार्ज के, असम विश्वविद्यालय के प्रो. आर एम पंत, दिल्ली तकनीकी विश्विद्यालय के प्रो. वी के मिनोचा, त्रिभुवन कालेज राजस्थान के प्रो. जे के गर्ग, आईसीएआर वीपीकेएएस के डॉ जे के बिष्ट, एनआईएस से जुड़े डॉ वी सी गोयल, सीआरआरआई के डॉ किशोर कुमार, आईआईटी रुड़की के प्रो. एस के मिश्रा, डीएसटी से डॉ स्वाति जैन व डब्लूडब्लूएफ के निदेशक डॉ जी. अरीन्द्रन सहित विभिन्न राज्यों के सचिवों के प्रतिनिधियों आदि ने प्रतिभाग किया।