देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में अवैध रूप से नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों को सरकारी भवनों से हटाने के लिए बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी। राज्य संपत्ति विभाग के ऐसे 40 आवास हैं, जिन पर इन बर्खास्त कर्मचारियों ने कब्जा किया हुआ है। विहित प्राधिकारी ने अवैध कब्जों को हटाने के लिए पुलिस बल की मांग की है, ताकि तमाम नोटिस के बावजूद राज्य संपति विभाग के सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए विधानसभा के पूर्व कर्मचारियों को यहां से हटाया जा सके।
विधानसभा द्वारा इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद कई बार ऐसे कर्मचारियों को घर खाली करने के लिए नोटिस भी जारी किए गए हैं। इसके बावजूद बर्खास्त कर्मचारी सरकारी निर्देशों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि पहले ही मानवीय पहलुओं को देखते हुए राज्य संपति विभाग के अधिकारियों ने इन बर्खास्त कर्मचारियों को काफी समय दिया और इन्हें दूसरे आवास में जाने के लिए भी पर्याप्त मौका देते हुए नोटिस जारी किए गए। इस सबके बावजूद बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा सरकारी भवन नहीं छोड़े गए और अब इन कर्मचारियों को बलपूर्वक हटाने की कार्रवाई होने जा रही है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक विहित अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह द्वारा इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर पुलिस बल उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया है। वहीं अब राज्य संपत्ति विभाग को इसके लिए कार्रवाई करनी है। ऐसे तमाम कर्मचारी हैं जो लंबे समय से सरकारी आवास के आवेदन लगाए हुए हैं। ऐसे में यह कार्रवाई होने के बाद इन जरूरतमंद कर्मचारियों को सरकार ही आवास दिए जा सकेंगे।
उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त हुए कर्मचारियों का मामला फिलहाल नैनीताल हाईकोर्ट में चल रहा है और हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार से विधानसभा भर्ती मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है। इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए विधानसभा में हुई बैक डोर भर्ती, भ्रष्टाचार और अनियमितता की बात रखी थी।