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दारमा घाटी में हुई कृषक विचार गोष्ठी, सीमांत गांवों के समग्र उत्थान में सहभागी बनेंगे वैज्ञानिक

इंडिया भारत न्यूज डेस्क: सीमात जनपद पिथौरागढ़ के दारमा घाटी में कृषक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बीडीओ धारचूला प्रदीप सिंह बिष्ट ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि सीमांत गांव जिन्हें जीवंत गांव भी कहा गया है, इनके समग्र विकास के लिए वहां के उत्पादों को स्थानीय लोगों के पोषण और आजीविका से जोड़ने के लिए वैज्ञानिक उपाय करने होंगे।

वैज्ञानिक डॉ शैलजा पुनेठा ने बताया कि राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना का पहला चरण पिथौरागढ़ की दारमा घाटी से शुरू किया जा रहा है। यहां के ग्रामीणों के साथ एक वृहद किसान गोष्ठी और जन जागृति कार्यशाला शुरू की गई। कार्यशाला का विषय पारंपरिक फसलों की खेती और उनके संवर्धन और उनके बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना था।

डॉ. पुनेठा ने बताया कि स्थानीय लाईन विभागों के साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच स्थानीय फसलों व उत्पादों के मूल्यवर्धन के साथ उनके संवर्धन पर गहन चर्चा की गई। सीमांत गांवों में पलायन को रोकने और स्थानीय युवाओं को स्थानीय उत्पादों को मूल्यवर्धित कर आगे बढ़ाने पर गहन चर्चा की गई। स्वयं सहायता समूहों व भविष्य में अन्य उद्यमों के माध्यम से उन्हें नियोजित ढंग से आगे बढ़ाने की कार्ययोजना पर भी चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा, पंतनगर विवि व पिथौरागढ़ कृषि विभाग संयुक्त रूप से इस बार गंभीर रूप से ठोस कार्ययोजना पर कार्य करेंगे।

वैज्ञानिकों ने पर्यावरणीय दबावों को झेलने में सहायक, उपेक्षित फसलों को बायो तकनीकी हस्तक्षेप से आगे बढ़ाने, स्थानीय स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ाने व उनकी बाजार पहुंच बढ़ाने, समुदाय आधारित जीन बैंकों की स्थापना करने, जलवायु अनुकल तकनीको को विकसित करने व स्थानीय समुदायों को सशक्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी द्वारा भारत के जीवंत गांवों में आजीविका बढ़ाने और प्रवासन को रोकने के लिए संस्थान द्वारा एक कुमाऊं हिमालय के जीवंत गांवों में जलवायु परिवर्तन की स्थिति में भोजन, पोषण और आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए नकदी पैदा करने वाली संभावित अप्रयुक्त फसलों को मुख्यधारा में लाना परियोजना चलाई जा रही है। संस्थान के निदेशक प्रो सुनील नौटियाल ने बताया कि यह महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजना हैं जिसका लाभ अवश्य रूप से जनजातीय समाज को होगा।

कार्यक्रम में सूरज विश्वास, सहायक कृषि अधिकारी विक्रम सिंह, सहायक उद्यान अधिकारी लक्ष्मण मर्तोलिया एवं शोधार्थी डॉ निधि जोशी एवं श्रीजना मौजूद रहे।

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