अल्मोड़ा: उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन उत्तराखंड के जिलाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार जोशी व सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा है कि सरकार को आयकर नीति में बदलाव करना चाहिए। सरकार जहां मनमाफिक टैक्स वसूल रहीं हैं, दूसरी तरफ अधिकारी, कार्मिक, शिक्षक अधिक ब्याज दर में बैंकों से ऋण लेने को मजबूर है।
मीडिया को जारी संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि कार्मिकों, शिक्षकों को दोहरी मार पड़ रहीं हैं, न चाहते हुए भी आयकर देना है और बैंकों से ऋण नहीं लेते हैं तो हायर एजुकेशन, जमीन, वाहन क्रय आदि चीजें संभव नहीं है। वेतन अपना होते हुए भी जबरन कटौती के रूप में देना है। वर्तमान में 3 से 6 लाख तक पांच फीसदी व 6 लाख से 9 लाख तक दस फीसदी, 9 लाख से 12 लाख तक 15 फीसदी, 12 से 15 लाख तक बीस फीसदी व 15 लाख से ऊपर तीस फीसदी टैक्स निर्धारित किया गया है, जो मंहगाई के दौर में ठीक नहीं है।
सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने 10 लाख तक की कर योग्य आय में आयकर शून्य घोषित करने की मांग की है। तथा दस से पन्द्रह लाख तक 5 फीसदी व 15 से अधिक आय पर 10 फीसदी टैक्स निर्धारित करने की मांग की गई है। साथ ही एलआईसी, मेडिक्लेम, जीपीएफ सीपीएफ तथा अन्य बचतों पर भी छूट देने की मांग की गई है।सरकार से कार्मिक, शिक्षकों के ऋणग्रस्त होने पर पूर्ण आयकर छूट की भी मांग की गई है ताकि कार्मिक शिक्षकों पर भी दोहरे दंड आयकर व ऋण की मार न पड़े।
उन्होंने कहा कि वर्तमान कर निर्धारण से सभी कार्मिकों शिक्षकों में रोष व्याप्त है। कोई भी शिक्षक, कार्मिक टैक्स काटने के खिलाफ नहीं है। लेकिन सरकार को कार्मिकों व शिक्षकों की आवश्यकता व महंगाई को देखते हुए इस ओर सकारात्मक कदम उठाना चाहिए।