अल्मोड़ा: वनाग्नि की दृष्टि से अल्मोड़ा जिला काफी संवदेनशील है। यहां हर साल हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ जाता है। आग से वन संपदा को तो नुकसान होता ही है साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित हो जाता है। फायर सीजन में आग की घटनाएं वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
आगामी 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में वन महकमा अलर्ट मोड पर आग चुका है। दावानल की घटनाओं से निपटने के लिए वन विभाग ने तैयारियां तेज कर दी है। जंगलों को आग से बचाने के लिए इस बार वन विभाग ने क्रू स्टेशनों की संख्या में इजाफा किया है। इस बार कुल 155 क्रू स्टेशन बनाये गए है। जो पिछले साल के मुताबिक 16 अधिक है। जिसमें सोमेश्वर में 6, द्वाराहाट में 2 और अल्मोड़ा व रानीखेत में 4-4 नये क्रू स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
फायर वॉचरों की जिम्मेदारी तय
15 फरवरी से 15 जून के बीच का समय फायर सीजन कहलाता है। इस दौरान जंगलों में सबसे अधिक आग की घटनाएं देखने को मिलती है। कभी कभी ये आग विकराल रूप धारण कर लेती है। जंगलों में व्यापक पैमाने पर आग न लगे इसके लिए वन विभाग ने वनकर्मियों की जिम्मेदारी तय की है। प्रत्येक क्रू स्टेशन का एक कमांड एरिया निर्धारित किया गया है। जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उस क्षेत्र में तैनात फायर वाचरों की होगी। डीएफओ महातिम यादव ने बताया कि जिस भी क्षेत्र में बड़े स्तर पर आग लगेगी, उस क्षेत्र में तैनात फायर वॉचरों को उसी दिन से कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित क्रू स्टेशन प्रभारी की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
पर्यावरणीय लिहाज से जंगलों की आग एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है। अब न सिर्फ गर्मी के सीजन बल्कि किसी भी सीजन में जंगल सुलग रहे है। ऐसे में वन महकमा आग की घटनाओं की रोकथाम में कितना कामयाब हो पाता है, इसकी तस्वीर आने वाले फायर सीजन में साफ हो जाएगी।
हमसे व्हाट्सएप पर जुड़ें
https://chat.whatsapp.com/