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वन हैं तो जीवन है, वनों की रक्षा हो हमारी प्राथमिकता: पंत

 

अल्मोड़ा: हंस फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड के 10 विकास खंडों के एक हजार गांवों में वनाग्नि शमन एवं रोकथाम परियोजना शुरू की गई है। वनाग्नि रोकथाम के लिए लगातार जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

‘मेरा गांव मेरा वन’ अभियान के तहत ताकुला विकासखंड के श्री राम विद्या मंदिर डोटियालगांव में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में स्कूली छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया तथा वनों की आग से होने वाले दुष्प्रभावों, जलवायु परिवर्तन ओर प्रकृति को संरक्षित करने को चित्रकला के माध्यम से प्रदर्शित किया। प्रतियोगिता में अंकन मण्डल, प्रखर गुसाई, निशा सुयाल ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।

 

हंस फाउंडेशन के परियोजना समन्वयक राजनीश रावत ने विद्यार्थियों को परियोजना के बारे मे विस्तारपूर्वक बताया। साथ ही जन समुदाय से वनों के महत्व और वनों के संरक्षण में सहयोग देने की अपील की।

प्रधानाचार्य नरेन्द्र कुमार पंत ने अपने संबोधन में कहा कि वन है तो जीवन है। वनों को आग से बचाना अत्यंत आवश्यक है। पेड़ धूल, ध्वनि, ताप, गैस और प्रदूषण का अवशोषण कर न सिर्फ इनसे हमें बचाते हैं बल्कि फल, फूल, औषधियां, वर्षा और जीवनदायी ऑक्सीजन दे हमें जीवन प्रदान करते हैं। इसलिए वन की रक्षा हमारे जीवन की प्राथमिकता होनी चाहिए।

चित्रकला प्रतियोगीता के निर्णायक बृज मोहन जोशी, पिंकी लोहानी, अनीता कनवाल ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में वन विभाग के वन बीट अधिकारी मनोज कांडपाल, कुंदन, गोपाल सिंह, हंस फाउंडेशन के महेश पंत, सुशील कांडपाल, अध्यापक मनोज बिष्ट, उमेश रावत, मीनाक्षी पाठक, ललित पंत, मनीषा, प्रमोद, विजय आदि मौजूद रहे।

 

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