अल्मोड़ा: ताकुला विकासखंड के बसोली में वन पंचायत संगठन की बैठक हुई। जिसमें वन पंचायतों की स्वायत्तता बहाल करने, वन पंचायत के चुनाव में गुप्त मतदान कराने समेत कई मांगों पर चर्चा हुई।
बैठक में मुख्य रूप से वन पंचायत के लिए पृथक अधिनियम बनाने, वन पंचायतों को स्वायत्तता बहाल करने, वन पंचायत के चुनाव समस्त प्रदेश में एक साथ गुप्त मतदान द्वारा कराये जाने, पंचायत प्रतिनिधियों को मानदेय देने व उनका बीमा कराये जाने, वन पंचायतों को नियमित बजट उपलब्ध कराने तथा नियमावली में किए जाने वाले किसी भी संशोधन से पूर्व वन पंचायत प्रतिनिधियों एवं वन मुद्दों से जुड़े संगठनों, व्यक्तियों को विश्वास में लिए जाने की मांग की गई।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लठ पंचायत व्यवस्था से लेकर देव वन तक वन प्रबंधन के गौरवशाली इतिहास को संजोई वन पंचायतें, आज संकट के दौर से गुजर रही हैं। सामुदायिक वन प्रबंधन की भावना निरंतर कमजोर हो रही हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में वन पंचायतें पिछले 9 दशकों से पर्यावरण एवं जैव विविधता संरक्षण हेतु प्रयासरत है। ऐसी स्थिति में यहां अलग से जैव विविधता प्रबंधन समिति बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। आशंका जताई कि इससे भविष्य में गांव में टकराव की स्थिति पैदा होगी। अतः जिन गांवों में वन पंचायत गठित हैं वहां उन्हें ही जैव विविधता प्रबंधन समिति का दर्जा दिए जाने की मांग की गई।
बैठक की अध्यक्षता वन पंचायत संगठन के अध्यक्ष डूंगर सिंह भाकुनी ने की।
बैठक में सरपंच संगठन के दिनेश लोहनी, प्रताप सिंह, ईश्वर जोशी, सरस्वती भंडारी, इंदिरा देवी, नंदी देवी, बहादुर सिंह मेहता, दिनेश पिलख्वाल, भावना भंडारी, जगदीश सिंह बिष्ट, हर सिंह, चंदन सिंह, आनुली देवी, लोक प्रबंधन विकास संस्था की दीप्ति भोजक, लता रौतेला, वन बीट अधिकारी गोपाल सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।