अल्मोड़ा: विलेज वेज द्वारा माउंटेन रिजॉर्ट खाली स्टेट में बिनसर बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश के पर्यटकों के अलावा पर्यटन विकास समिति, वन विभाग व शिक्षण संस्थाओं ने प्रतिभाग किया।बर्ड फेस्टिवल में लगाए गए स्थानीय उत्पादों के स्टालों को पर्यटकों द्वारा खूब सराहा गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वन संरक्षक उत्तरी कुमाऊं डॉ. कोको रोसे ने कहा कि वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने पर्यावरण सम्मत पर्यटन के लिए विलेज वेज की सराहना की।
प्रोफेसर अदिति चौधरी ने देश भर में चल रहे पर्यटन के विभिन्न आयामों की जानकारी देते हुए अपने अनुभवों को साझा किया। लोक प्रबंध विकास संस्था के ईश्वर जोशी ने बिनसर के ऐतिहासिक परिदृश्य को रखते हुए जन श्रुति एवं लोक कथाओं में बिनसर से जुड़े तमाम रोचक किस्सों को सुनाया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए विलेज वेज की निदेशक मनीषा पांडे ने बताया कि विलेज वेज द्वारा पिछले 20 वर्षों से उत्तराखंड के साथ ही केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व नेपाल में समुदाय आधारित पर्यटन का कार्य किया जा रहा है। समुदाय एवं पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति संवेदित करने हेतु गत वर्ष से बिनसर में बर्ड फेस्टिवल की शुरुआत की गई हैं।
पक्षी विशेषज्ञ दीपक जोशी हेम जोशी व संतोष द्वारा बिनसर में पाए जाने वाली विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की जानकारी दी गयी।
पर्यावरण विद संजय सैलानी ने कहा कि बिनसर के शुद्ध पर्यावरण का जादू देश-विदेश से पर्यटकों को यहां खींच लाता है। उन्होंने पर्यटकों एवं स्थानीय जनता से बिनसर की खूबसूरती को बचाए रखने की अपील की।
अध्यापक युगल मठपाल ने कहा कि इस तरह के आयोजन बच्चों को अपने परिवेश से जोड़ने में सहायक होते हैं।
ब्रिटेन से आई जेनिफर मार्सटोन ने बताया कि वह चौथी बार बिनसर आई हैं। 92 वर्ष की उम्र में जब उन्हें लगा कि यह उनकी अंतिम विदेश यात्रा होगी, किस देश में जाया जाए तो बिनसर की खूबसूरती उन्हें इंडिया ले आई।
इस अवसर पर कार्यक्रम में राजकीय प्राथमिक विद्यालय भेटुली तथा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भेटुली के बच्चों द्वारा की गयी चित्रकला के अव्वल आए बच्चों को पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर प्रसिद्ध साइकिलिस्ट कुलदीप पटेल, वन क्षेत्राधिकारी मनोज सनवाल, हिमांशु पांडे, ग्राम प्रधान हेमंत राम, घनश्याम पांडे, वीरेंद्र सिंह, नंदा बल्लभ जोशी, नवीन जोशी आदि मौजूद रहे।