अल्मोड़ा। पद्मविभूषण स्व. बीडी पांडे की स्मृति में जाखनदेवी स्थित उत्तराखण्ड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षा संस्थान में राज्य स्तरीय ‘संवाद’ विमर्शशाला का आयोजन किया गया। यह विमर्शशाला दो दिन तक आयोजित होगी।
पहले दिन वक्ताओं ने प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में घटते आजीविका के मुख्य आधार कृषि और पशुपालन की समस्याओं पर गहन मंथन किया। जिसमें विचार सामने आया कि प्रदेश के पहाड़ी ग्रामीण जीवन में बदलाव की एक नई लहर दिखाई दे रही है जिसका प्रतिकूल असर कृषि, पशुपालन, सांकृतिक रीति-रिवाज और परंपराओं पर पड़ रहा है। इसके विपरीत शराब, लीसा, लकड़ी की तस्करी, वनों और प्रकृति से छेड़छाड़, निर्माण कार्यों में पारदर्शिता की कमी जैसी प्रवृत्तियों की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है।
कार्यकम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री व स्थानीय सांसद अजय टम्टा ने कृषि के क्षेत्र में केंद्र सरकार की उपलब्धियों व योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा जहां आज लोग गांवों से पलायन कर नौकरी के लिए अपनी खेती और पशुपालन छोड़ कर बाहर जा रहे हैं वहीं विदेशों से लाखों का पैकेज छोड़ कर कई युवा कृषि कार्य करने वापस पहाड़ों में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिवर्तन समय की मांग है। लक्ष्य आधारित खेती करने की जरूरत है।
पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में स्व. बी.डी. पाण्डे के प्रशासनिक योगदान एवं उत्तराखण्ड प्रेम को याद करते हुए उन्हें पहाड़ के लिये प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि खेती तथा पशुपालन एक-दूसरे से जुड़े हैं तथा दोनों के बिना एक दूसरे का अस्तित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि आज खेती की जमीनों पर हमला हो रहा है जो चिंता की बात है।
पूर्व विस उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने पहाड़ की परंपरागत खेती में गहत, भट, झुंगरा, कौणी इत्यादि औषधीय गुणों से युक्त अनाजों व दालों को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर बल दिया।
उत्तराखण्ड सेवा निधि के निदेशक डा. ललित पाण्डे ने सेवा निधि के कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उत्तराखण्ड सेवा निधि द्वारा विकसित कक्षा 6 से 8 तक की कार्य पुस्तिकाओं ‘हमारी धरती हमारा जीवन’ की उपयोगिता बतायी। कहा कि नई पीढ़ी खेती एवं पशुपालन जैसे श्रमसाध्य कार्यों में रुचि नहीं ले रही है।
संयोजक व पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी ने संवाद में आए अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा विषय पर सार्थक जानकारी दी। संचालन डा. रमेश पाण्डेय राजन ने किया।
वीपीकेएएस हवालबाग के निदेशक वैज्ञानिक डा. लक्ष्मीकांत ने कृषि उत्पादन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर विस्तृत प्रकाश डाला। एसएसजे विवि के पूर्व प्रोफेसर जेएस रावत ने कृषि एवं जल संरक्षण की तकनीकों पर प्रकाश डाला। संचालन डा. रमेश पांडेय राजन ने किया।
इस अवसर पर एडवोकेट पीसी तिवारी, डा. रमेश पाण्डे राजन, मीता उपाध्याय, कल्याण मनकोटी, विनीत बिष्ट, भारती पांडे, दयाकृष्ण कांडपाल आदि ने अपने विचार रखें।
कार्यक्रम में मेयर अजय वर्मा, पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, भूवैज्ञानिक डा. रमेश उपाध्याय, प्रोफेसर एसए हामिद, प्रोफेसर शेखर चंद्र जोशी, गोविंद पिलख्वाल, विनीत बिष्ट, कैलाश गुरुरानी, पूरन रौतेला, भूपेन्द्र जोशी, पूनम त्रिपाठी, अंजू बिष्ट, मीरा मिश्रा, लता पांडे, जगत जोशी, डा. निर्मल जोशी, आनंद सिंह बगडवाल, डा. हरीश चन्द्र जोशी, रेनू टम्टा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।