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राज्य स्थापना दिवस पर राज्य आंदोलनकारियों ने निकाला पैदल मार्च, राजनीतिक पार्टियों पर लगाए यह आरोप

अल्मोड़ा: उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकारी कार्यक्रम का बहिष्कार करते हुए पैदल मार्च निकालकर व प्रदर्शन कर राज्य सरकार को चेताने का काम किया। राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य को बने 23 साल हो चुके है। लेकिन ​आज भी राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पाया। इस दौरान राज्य आंदोनलकारियों ने प्रदेश में सत्ता में रही पार्टियों पर आरोप लगाए।

 

राज्य आंदोलनकारियों ने नारायण तिवारी देवाल से चौघानपाटज्ञ गांधी पार्क तक पैदल मार्च किया। गांधी पार्क में हुई सभा में राज्य आंदोलनकारियों ने जहां राज्य स्थापना के 23 वर्ष पूर्ण होने पर राज्य वासियों को बधाई दी वहीं, इस बात लिए खेद व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश के राजनैतिक शोषण से जिस पहाड़ को बचाने के लिए राज्य निर्माण की लड़ाई यहां की जनता ने लड़ी और राज्य बनाया, आज वही जनता, पहाड़ की जमीन को बचाने के लिए भू कानून बनाने, जंगली जानवरों से खेती बाड़ी और जान माल की रक्षा के लिए सरकार से गुहार लगा रही है।

वक्ताओं ने कहा कि सरकार होटलों, सड़कों, रथों में कृषि महोत्सव आयोजित कर रही है। जनता के खेत खलिहान जंगली, आवारा जानवरों के कारण वीरान बंजर होते जा रहे है। बेरोजगारी के कारण पलायन और अधिक बढ़ गया है। पहाड़ के गांवों में केवल बृद्ध और असहाय लोग ही केवल मजबूरी में रह रहे हैं। गांव जनशून्य होते जा रहे हैं।

राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने में जहां वित्त का रोना रो रही है वही अपने लोगों को 1975 के आपातकाल में जेल बंद होने के नाम पर लोकतंत्र सेनानी घोषित कर 20-20 हजार रूपये पेंशन दे रही है।

राज्य आंदोलनकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में रही पार्टियों ने जहां राजनैतिक हस्तक्षेप कर अपने—अपने कार्यकर्ताओं को राज्य आंदोलनकारी चिन्हित करवाया। वही, राज्य के लिए वर्षो तक संघर्षरत रहे वास्तविक आंदोलनकारी चिन्हीकरण से वंचित है। क्षैतिज आरक्षण के मुद्दे को लटकाये रखना भी सरकार के आंदोलनकारियों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये परिलक्षित करता है।

राज्य आंदोलनकारियों ने निर्णय लिया है सरकार जनविरोधी रवैये को लेकर गांव स्तर से ही आंदोलन खड़ा किया जायेगा।

इस मौके पर ब्रह्मानंद डालाकोटी, शिवराज बनौला, दौलत सिंह बगडवाल, मोहन सिंह भैसोड़ा, गोपाल सिंह बनौला, तारा तिवारी, बहादुर राम, कृष्ण चन्द्र, बसंत जोशी, दिनेश शर्मा, हेम चन्द्र जोशी, डुंगर सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह, रवीन्द्र विष्ट, महेश पांडे, विशंभर पेटशाली, तारादत्त भट्ट, नारायण राम, कैलाश राम, सुंदर सिंह, पूरन सिंह, नवीन डालाकोटी, राजन बल्लभ, लक्ष्मण सिंह, दीवान सिंह, पूरन बनौला, मदन राम पदम सिंह आदि मौजूद रहे।

 

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