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पर्यावरण प्रेमी व सामाजिक कार्यकर्ता मोहन कांडपाल का हुआ सम्मान, शिक्षक कांडपाल बोले- “जल स्रोत हमारी सांस्कृतिक धरोहर”

अल्मोड़ा: सुरईखेत (द्वाराहाट) के शिक्षक एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मोहन चन्द्र कांडपाल को राष्ट्रपति द्वारा छठे राष्ट्रीय जल संरक्षण सम्मान से सम्मानित किए जाने पर बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा शिक्षकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत व सम्मान किया। यह सम्मान समारोह नगर के एक होटल सभागार में आयोजित किया गया।

 

सेवानिधि के निदेशक डॉ. ललित जोशी ने पुष्पगुच्छ एवं शॉल भेंट कर उनका अभिनंदन किया। अपने संबोधन में कांडपाल ने कहा कि विश्व आज गम्भीर जल संकट के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में “पानी बोओ–पानी उगाओ” अभियान को जन-आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने नदी-नालों, प्राकृतिक जल स्रोतों, वर्षा जल संचयन तथा पारंपरिक जल संरचनाओं के संरक्षण की तत्काल जरूरत पर जोर दिया।

 

कांडपाल ने बताया कि क्षेत्र में बढ़ती जल-कमी से निपटने के लिए उन्होंने 5000 से अधिक खाव (छोटे जलग्रहण गड्ढों) का निर्माण करवाया, जिससे कई स्रोत पुनर्जीवित हुए।
उन्होंने कहा कि जल स्रोत हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। यदि जमीन बंजर होगी, तो स्रोत सूखेंगे, इसलिए हमें प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर चलना होगा। बच्चों और युवाओं में जल संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता जगाने के लिए उन्होंने विद्यालयों में विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाने की भी अपील की।

 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने मोहन कांडपाल को बधाई देते हुए बताया कि वे 1984 के ऐतिहासिक “नशा नहीं, रोजगार दो” आंदोलन से प्रेरित रहे हैं। कानपुर से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने गांव लौटकर समाज सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाया। एक शिक्षक के साथ-साथ उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक बदलाव, युवा नेतृत्व, और लोक-जागरूकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए।

 

तिवारी ने कहा कि मोहन चन्द्र कांडपाल का यह सम्मान केवल उनका नहीं, बल्कि पूरे कुमाऊँ क्षेत्र, खासकर अल्मोड़ा और द्वाराहाट की जनता का सम्मान है।

 

शारदा पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या विनीता शेखर लखचौरा ने उन्हें राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिलने पर हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वर्तमान समय में बच्चों को जल का महत्व समझाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा, यदि बचपन से ही बच्चों में जल संरक्षण की समझ और संवेदनशीलता विकसित की जाए, तो वे जीवनभर प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी निभाएंगे। उन्होंने कांडपाल द्वारा विद्यालयों में की जा रही पहलों को अत्यंत सराहनीय बताया।

 

कार्यक्रम में नीरज पंत, कमल जोशी, प्रकाश चन्द्र, डॉ. एच.डी. कांडपाल, राजेंद्र रावत, कंचना तिवारी, राजेश बिष्ट, स्वाति तिवारी, ममता बिष्ट, ममता जोशी, नाजिम अली, रमेश सिंह दानू, चंदन सिंह, प्रताप सिंह रावत, बिपिन कुमार आर्या, एडवोकेट भारती, एडवोकेट जीवन चन्द्र, दीवान सिंह, मोहम्मद वसीम, मोहम्मद साकिब, अशोक पांडे, वीना चतुर्वेदी, भावना जोशी, शंकर दत्त भट्ट, राजू चन्द्र, जगदीश चन्द्र पांडे, देवकी देवी, दीपा जोशी, उछास की भावना पांडे, नीमा, विनीता, दीपांशु सहित कई कई लोग मौजूद रहे।

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