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अल्मोड़ा-(बड़ी खबर): बेरोजगारों से लूट… मेडिकल कॉलेज में रोजगार के नाम पर ठगने का प्रयास

 

अल्मोड़ा: कुछ साह पहले ही अस्तित्व में आया अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज से एक बड़ा मामला सामने आया है। कथित तौर पर मेडिकल कॉलेज में तैनात एक कर्मचारी पर नौकरी लगाने के नाम पर ठगी करने का आरोप लगा है। इस मामले में एक महिला ने बेस चौकी पुलिस तथा अस्पताल प्रशासन से लिखित शिकायत की है। वही, मामले के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

 

 

लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अकसर चर्चाओं में रहने वाला अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज एक बार फिर चर्चाओं में है। खत्याड़ी ग्रामसभा के पहल निवासी एक महिला ने बेस पुलिस चौकी में तहरीर सौंपी। ​कथित तौर पर महिला का आरोप है कि बेस अस्पताल में कार्यरत एक कर्मचारी ने उसकी बेटी की अस्पताल में नौकरी लगाने के नाम पर मेडिकल कालेज के प्राचार्य व एमएस के नाम से उससे धोखाधड़ी कर चार हजार रुपये ठग लिए और दस्तावेज भी मांगे। महिला को जब ठगी का अहसास हुआ तो उसने कर्मचारी से पैसे वापस मांगें, लेकिन कर्मचारी बार-बार महिला से झूठ बोलता रहा।
महिला ने इस संबंध में मेडिकल कॉलेज प्रशासन से भी लिखित शिकायत की है। कथित तौर पर महिला का आरोप है कि कर्मचारी ने कई अन्य लोगों से भी रकम ठगी है।

 

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने क्या कहा?

इस मामले में पूछने पर बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अशोक ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है। इससे संस्थान व उनकी स्वयं की छवि धूमिल हुई है। कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्राचार्य को पत्र भेजा ​गया है। वही, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर सी पी भैसोड़ा ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है। कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही को लेकर संबंधित कंपनी को पत्र लिखा गया है। मामले में संबंधित कर्मचारी के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाएगी।

 

पुलिस ने क्या कहा?

प्रभारी निरीक्षक कोतवाली अरूण कुमार ने बताया कि एक महिला द्वारा आज सुबह मेडिकल कॉलेज में तैनात एक कर्मचारी के खिलाफ बेस चौकी में शिकायत की गई थी। कर्मचारी द्वारा महिला के रुपये लौटा दिए गए है। दोनों के बीच समझौता हो गया है।

गुरुवार यानि 4 जनवरी की सुबह महिला द्वारा पुलिस को तहरीर देकर कर्मचारी पर गंभीर आरोप लगाए गए, लेकिन शाम तक तहरीर वापस ले ली गई। महिला ने किस साहस से यह तहरीर सौंपी और चंद घंटों में तहरीर वापस भी ले ली, यह भी एक रहस्य बना हुआ है। क्या महिला ने किसी दबाव में तहरीर वापस ली? ऐसे तमाम सवालों के साथ मामला अब और भी ​संदिग्ध बनता नजर आ रहा है। क्योंकि जिस कर्मचारी पर आरोप लगाया है वह एक बड़ी ​कंपनी के जरिए बेस अस्पताल में आउटर्सोस पर तैनात है। ऐसे में अब देखना होगा कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से देखता है तथा संबंधित कर्मचारी के खिलाफ क्या एक्शन लेता है।

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद निशंक सरकार के दौरान ही स्वास्थ्य सेवाओं में निजीकरण की प्रक्रियाएं तेज हो गई थी। प्रदेश सरकार ने अपनी पृथक स्वास्थ्य नीति तो बनाई, लेकिन निजीकरण व ठेकेदारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निगरानी प्रणाली नहीं बनाई गई। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में सामने आया यह प्रकरण भी इसी का नतीजा है।

 

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