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दो विभागों के बीच चिट्ठी-चिट्ठी के खेल में अटकी कोसी बैराज की डिसिल्टिंग, बजट मंजूर होने के बाद भी नहीं सुलझा पेंच

अल्मोड़ा। करोड़ों की लागत से बने कोसी बैराज में भारी मात्रा में सिल्ट जमा होने से बैराज की पानी भंडारण की क्षमता लगातार कम होती जा रही है। जिलाधिकारी अंशुल सिंह ने बैराज की डिसिल्टिंग को बजट भी मंजूर कर दिया है, लेकिन अब भी सिंचाई और जल संस्थान के बीच चिट्ठी-चिट्ठी के खेल में डिसिल्टिंग अटकी है। पिछले वर्ष भी इन दोनों विभागों में समन्वय नहीं होने से सफाई का काम नहीं हो पाया था।

नगर व इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में कोसी नदी में बने बैराज से पानी की आपूर्ति होती है। गर्मी के समय जल स्तर कम हो जाने से मांग के सापेक्ष आपूर्ति से नहीं होने से समस्या विकट हो रही थी। इस समस्या से निजात दिलाने के मकसद से 2016 में कोसी बैराज का निर्माण हुआ। करीब 8.5 मी गहराई के इस बैराज में लाखों लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है।

 

हालत यह है वर्तमान में बैराज में 6.5 मीटर तक मिट्टी जमा हो गई है। जल्द डिसिल्टिंग नहीं हुई तो आगामी गर्मी के समय नगर समेत अन्य क्षेत्र में पेयजल संकट गहराने की प्रबल आशंका है।

डीएम अंशुल सिंह ने सिंचाई विभाग को डिसिल्टिंग के लिए दस लाख रुपए मंजूर तो किए हैं, लेकिन अब भी पेंच नहीं सुलझा है। सिंचाई विभाग ने जल संस्थान को पत्र लिखकर बैराज की सफाई के लिए क्लोजर मांगा है। क्योंकि सफाई के दौरान बैराज से पानी की पंपिंग करीब चार दिन तक ठप रहेगी।

 

जल संस्थान के पास पानी स्टोर करने के अतिरिक्त टैंक नहीं है। बैराज से कुछ दूरी पर अस्थाई बांध बनाकर ही पानी की पंपिंग हो सकती है, लेकिन जल संस्थान अस्थाई बांध तैयार की कोई योजना और डिसिल्टिंग का समय तय नहीं कर पाया है। विभागों का यही रवैया रहा तो इस वर्ष भी बैराज की सफाई नहीं हो सकती।

 

कोसी बैराज की डिसिल्टिंग के लिए सिंचाई विभाग और कॉफर डैम बनाने को जल संस्थान को बजट दिया गया है। दोनों ही विभागों को आपसी समन्वय बनाकर सफाई योजना, इस पर लगने वाले अनुमानित समय और तिथि निर्धारण करने के निर्देश दिए हैं। इस महत्वपूर्ण काम में लापरवाही, जानबूझकर देरी अथवा अन्य कारण को गंभीरता से लिया जाएगा।
     -अंशुल सिंह, जिलाधिकारी अल्मोड़ा।

 

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