सिस्टम सुधारने के लिए बनना चाहता है 5 दिन का सीएम
अल्मोड़ा: भ्रष्टाचार पर सरकार की असरदार चोट को दिखाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की “धाकड़ धामी” ब्रांडिंग बनाने के लिए जहां अथक प्रयास किए जा रहे हैं, तो वहीं मुख्यमंत्री धामी अपनी जननेता की छवि बनाने के लिए लोगों से सहज रूप से मिल रहें हैं। इसी योजना को अमलीजामा पहनाए जाने के लिए “मुख्य सेवक आपके द्वार” जैसे कार्यक्रम आयोजित कर माध्यम से वाहवाही लूटी जा रही है तो दूसरी ओर सीएम खुद मॉर्निंग वॉक के बहाने अपना जनसंपर्क बढ़ाने में लगे हैं, लेकिन इस सारी कवायद की पोल अल्मोड़ा में उस समय खुल जाती है जब 70 किमी. दूर स्थित अपने गांव गरुड़ बागेश्वर से आए एक जरूरतमंद को सिस्टम के लोग मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से बाहर कर उसे सीएम से मिलने से भी रोक देते हैं।
इतनी दूर से आये इस जरूरतमंद युवक की व्यथा तब किसी ने नहीं सुनी, जबकि मुख्यमंत्री दो दिन इसी जिले में रहे। सिस्टम को इस युवक की मांग को जायज नहीं लगी और युवक को धक्के मार कर बाहर कर दिया गया। स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारियों की उपेक्षा के बाद इतनी दूर आया यह युवक यहां से निराश होकर तो गया, लेकिन जाते जाते अपनी व्यथा मीडिया से साझा कर सिस्टम की भी पोल खोल गया।
दरअसल उत्तराखंड के बागेश्वर जिले की गरुड़ तहसील में पड़ने वाले टिटोली गांव के युवक रवि पाल की मां की मौत काफी पहले हो चुकी थी। बीते दिनों उसके पिता गोविंद पाल की मौत हो गई। रवि का एक भाई सौ प्रतिशत दिव्यांग है। रवि के चाचा मुंबई में वाहन चालक हैं। वर्तमान में रवि अपने भाई के साथ अपनी चाची के साथ रह रहकर खुद पढ़ाई में जुटा है।
खुद की आर्थिक स्थिति नाजुक होने का हवाला देते हुए रवि ने स्थानीय विधायक के माध्यम से शासन से आर्थिक सहायता की भी गुहार लगाई थी, लेकिन रवि की आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गई। इसके साथ ही एक दिलचस्प बात यह हुई कि रवि को स्नातकोत्तर की परीक्षा परिणाम में एक विषय की परीक्षा में अनुपस्थित दिखाकर उसे अनुत्तीर्ण कर दिया गया है, जबकि रवि का कहना है कि उसने परीक्षा दी है।
5 दिन का मुख्यमंत्री बनकर सिस्टम सुधारने की इच्छा
बीते दिनों सृष्टि गोस्वामी नाम की एक लड़की को एक दिन का प्रतिकात्मक मुख्यमंत्री बनते देख रवि को लगता है कि जिस सिस्टम के आगे वह धक्के खा रहा है, उसे ताक़त मिलने पर वह पांच दिन में सुधारने का हौसला रखता है। हरिद्वार ज़िले के दौलतपुर गांव की सृष्टि गोस्वामी को पिछले साल 24 जनवरी के राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौक़े पर उत्तराखंड में एक दिन का मुख्यमंत्री बनाया गया था। प्रतीकात्मक तौर पर मुख्यमंत्री बनी सृष्टि ने बाल विधानसभा सत्र में बतौर मुख्यमंत्री, सरकार के अलग-अलग विभागों के कार्यों का जायज़ा लेते हुए विभागीय अधिकारियों को कई सुझाव भी दिए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौजूदगी में यह कार्यक्रम उत्तराखंड विधानसभा भवन के एक सभागार में आयोजित किया गया था।
सृष्टि के इस उदाहरण ने रवि के संघर्षों से मिलकर उसकी कल्पनाओं को नई उड़ान दी। रवि को लगता है कि सख्ती से विकास कार्यों से लोगों को सीधे जोड़ते हुए अधिकारियों से काम कराया जाए तो कोई वजह नहीं कि लोगों को अपने कामों के लिए धक्के खाने पड़ें। अपनी इच्छा के चलते वह मॉर्निंग वॉक में लोगो से मुस्करा कर मिलने वाले मुख्यमंत्री से मिलने कागजों का पुलिंदा लिए उस समय अपने गांव से 70 किमी. दूर अल्मोड़ा पहुंच गया, जब मुख्यमंत्री दो दिन के लिए इस जिले में मौजूद थे, लेकिन यहां आकर जब उसने सीएम धामी से मिलने का प्रयास किया तो पुलिस अधिकारियों ने उसे धक्के देकर कार्यक्रम स्थल से ही बाहर कर दिया।
मुख्यमंत्री धामी खुद जनता से सीधे जुड़ाव के जो दावे करते हैं, उनकी पोल खोलने वाला यह न तो पहला उदाहरण है और न ही आखिरी। इस तरह के धक्के खाने वाले युवाओं की कोई कमी नहीं है जो पुलिस की सख्ती की वजह से उन तक अपनी व्यथा तक सुनाने से वंचित रह जाते हैं, समस्या के समाधान की तो कोई बात ही क्या करे?
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