देहरादून: उत्तराखंड वन महकमे से इस वक्त बड़ी खबर है। फारेस्ट चीफ को लेकर चल रही तनातनी में अब नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को स्टे कर दिया है। ऐसे में भरतरी के मामले में संकट खड़ा हो गया कि वह अपने पद पर बने रहेंगे या फिर हटेंगे।
क्या है पूरा मामला
उत्तराखंड सरकार ने 25 नवंबर 2021 को दो विभागों के अध्यक्षों का फेरबदल किया। सरकार ने आईएफएस राजीव भरतरी का को प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर स्थानांतरण किया। उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया गया। राजीव भरतरी ने सरकार को इस संबंध में चार प्रत्यावेदन दिए। लेकिन सरकार ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। उनका कहना था कि मेरा स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है। उन्होंने इसको अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन माना। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के न्यायाधीश ओम प्रकाश की एकलपीठ ने 24 फरवरी को पीसीसीएफ पद से राजीव भरतरी को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था।
इसके बाद राजीव भरतरी ने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट से भी उन्हें फारेस्ट चीफ के तौर पर पुन: नियुक्ति का आदेश मिला। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार को उन्हें फारेस्ट चीफ बनाना पड़ा। 4 अप्रैल को राजीव भरतरी ने दोबारा फारेस्ट चीफ का पदभार संभाला। लेकिन 6 अप्रैल को आईएफएस विनोद सिंघल ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने एसएलपी दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को स्टे कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद क्या राजीव भरतरी प्रमुख वन संरक्षक बने रहेंगे या फिर आईएफएस विनोद सिंघल दोबारा फारेस्ट चीफ का चार्ज संभालेंगे। फिलहाल इसकी कोई सूचना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के स्टे की कॉपी का इंतजार किया जा रहा है।
हमसे व्हाट्सएप पर जुड़ें
https://chat.whatsapp.com/