इंडिया भारत न्यूज डेस्क: बिलकिस बानो केस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार व गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बिलकिस बानो मामले के दोषियों को रिहा करने से पहले सरकार ने उनके द्वारा किए गए अपराध को ध्यान में क्यों नहीं रखा। कोर्ट ने गुजरात सरकार को चेताते हुए कहा है कि दोषियों को क्यों छोड़ा? इसके लिए जवाबी हलफनामा कोर्ट में 1 मई तक फाइल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा सरकार रिहाई की वजह नहीं बताएगी तो हम निष्कर्ष निकालेंगे। मामले की सुनवाई 2 मई को की जाएगी
सेब की तुलना संतरे से नहीं
सप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस मामले पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को काफी खरी-खोटी सुनाई। कोर्ट ने कहा कि ‘सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती’, इसी तरह सामूहिक हत्या की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती। जस्टिस केम जोसेफ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज बिलकिस बानो का मामला है। कल आप और मुझमें से कोई भी हो सकता है। ऐसे में इसके तय मानक होने चाहिए हैं।
केंद्र व गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलीसिटर जनरल ने सरकार के तरफ से दलील दी कि अदालत दोषियों की ओर नहीं देख रही है, वो 15 साल जेल में रहे। उनका जवाब सुनने के बाद जस्टिस ने जो बात कही उसे सुन एएसजी की बोलती बंद हो गई। जस्टिस ने कहा कि 15 साल में 3 साल से ज्यादा तो वह पैरोल पर रहे थे।
ये है मामला
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद दंगे भड़क उठे थे। इस दौरान साल 2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया था। साथ ही उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से सभी 11 दोषी जेल में बंद थे और पिछले साल 15 अगस्त को सभी को रिहा कर दिया गया था। उसके बाद सभी का स्वागत किया गया था। इसी रिहाई को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
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