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पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को किया याद

-उत्तराखंड की अवधारणा से खिलवाड़ बर्दास्त नहीं

अल्मोड़ा: पेशावर कांड की 93 वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने इस विद्रोह के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को याद कर नमन किया। वक्ताओं ने कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने 23 अप्रैल 1930 को स्वतंत्रता संग्राम में निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इंकार कर आजादी के संघर्ष में एक बेजोड़ अध्याय जोड़ा है, लेकिन हमारी सरकारें आज भी अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की नीति का अनुसरण कर रही हैं और उत्तराखंड राज्य की अवधारणा से खिलवाड़ कर रही हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित बैठक में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि 23 अप्रैल 1930 की इस घटना के बाद गढ़वाली फौज के विद्रोही सैनिकों और उनके नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को सत्ता के क्रूर दमन व जेलों का सामना करना पड़ा जिसके पश्चात चंद्र सिंह गढ़वाली जीवन पर्यन्त एक अलग पर्वतीय राज्य एवं शोषण मुक्त बेहतर समाज के लिए संघर्षरत रहे।

उपपा अध्यक्ष ने कहा की ऐसे दौर में जब देश में अमृत महोत्सव मनाने के बावजूद सामाजिक सौहार्द को छिन्न भिन्न कर नफरत विभाजन से सत्ता पाने के उपक्रम चरम पर हैं वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का जीवन देश व उत्तराखंड को एक नई राह दिखा रहा है।

बैठक में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा गया कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 वर्ष बाद भी सरकारों द्वारा दूधातोली गैरसैंण क्षेत्र को राज्य की राजधानी घोषित नहीं कर चंद्र सिंह गढ़वाली का अपमान किया है। जिसके लिए यहां राज करने वाली राष्ट्रीय पार्टियों व सरकारों को माफ नहीं किया जा सकता।

बैठक में पार्टी की केंद्रीय उपाध्यक्ष आनंदी वर्मा, नगर अध्यक्ष हीरा देवी, राजू गिरी, गोपाल राम आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

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