देहरादून: आध्यात्मिक शांति और सौहार्द के लिए विख्यात हिमालयी राज्य उत्तराखंड साम्प्रदायिक घटनाओं से अशांत होते जा रहा है। पिछले कुछ समय से प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में कई साम्प्रदायिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। सांस्कृतिक नगरी के रूप में अपनी पहचान रखने वाला अल्मोड़ा जिले में सम्प्रदाय विशेष के खिलाफ नफरत भरी नारेबाजी करने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने इस मामले में राज्यपाल, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, कुमाऊँ व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अल्मोड़ा को पत्र भेज कार्यवाही की मांग की है।
पत्र में मैखुरी ने कहा कि, ‘उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में कतिपय लोगों द्वारा सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिशें निरंतर की जा रही हैं। अफसोस यह है कि समाज में सरेआम हिंसा फैलाने का आह्वान करने तथा घृणा फैलाने वालों के खिलाफ अब तक एक भी मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। यही वजह है कि ऐसे तत्वों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं और वे उत्तराखंड के तमाम छोटे-बड़े नगरों में अपने घृणा अभियान का सरेआम प्रसार कर रहे हैं।
इस पत्र के साथ दो वीडियो संलगन हैं, जो अल्मोड़ा जिले के दो दूरस्थ इलाकों- भिकियासैण और सोमेश्वर में निकाले गए जुलूसों के हैं, जिनमें एक धर्म विशेष के लोगों के विरुद्ध मारने-काटने से लेकर लगभग गाली-गलौच की भाषा में भड़काऊ नारे लगाए गए। भिकियासैण का वीडियो (अवधि 4 मिनट 43 सेकंड), जुलाई 2023 के अंतिम दिनों का है और सोमेश्वर का वीडियो (1 मिनट 30 सेकंड), अगस्त 2023 के शुरुआती दिनों का है।
पत्र में आगे उन्होंने कहा कि, उच्चतम न्यायालय ने कई बार यह निर्देश दे दिया है कि घृणा भरे भाषण (Hate Speech) के मामले में पुलिस को किसी औपचारिक शिकायत का इंतजार किए बगैर स्वयं स्वतः संज्ञान लेते हुए एफ़आईआर दर्ज करनी हैं। 11 अगस्त 2023 को स्वयं पुलिस महानिदेशक द्वारा भी हेट स्पीच के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करने के निर्देश दिये गए। लेकिन अभी भी कोई प्रभावी कार्यवाही नज़र नहीं आ रही है।
मैखुरी ने पत्र में कहा कि सांप्रदायिक उन्माद और घृणा फैलाने की हर छोटी-बड़ी कोशिश से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। किसी भी उन्माद, घृणा और हिंसा फैला कर अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने अल्मोड़ा जिले के संलग्न वीडियोज़ (videos) के मामले में तत्काल उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार कार्यवाही के लिए अपने अधीनस्थों को निर्देशित करने की मांग की है।