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प्रतीकात्मक फोटो, P.C-hindipath.com

सिर्फ तकनीक ही नहीं… ओर्गेनाईजेशन कल्चर में बदलाव भी चाहिए

खबर है कि राज्य के सरकारी स्कूलों को हाई टेक बनाया जायेगा। अच्छी खबर है, अच्छा विचार है। निसंदेह इस बदलाव की जरूरत है। लेकिन संस्थागत आचार-व्यवहार, कार्यसंस्कृति में बदलाव न हो और सिर्फ तकनीक में बदलाव से ही अपेक्षित परिणाम निकल पाएंगे क्या? यह गंभीरता से, समग्रता से सोचने का विषय है।

चलिए, आपको ले चलता हूँ यहाँ से दूर पश्चिम दिशा में। प्रथम अरब–इजराइल युद्ध के मैदानों में। अपने जन्म के समय ही (सन 1948) इजराइल को अपने शत्रुओं से लड़ना पड़ गया था। एक तरफ इजराइल था, तो दूसरी तरफ मिश्र, ट्रांसजॉर्डन, इराक, सऊदी अरब, सीरिया, लेबनान की सेनायें।

अब मैं युद्ध के कारणों-घटनाओं पर नहीं, सिर्फ तकनीक और संस्थागत संस्कृति पर जाऊंगा। अरब देशों के पास इजराइल के मुकाबले ज्यादा बड़ी सेना थी। उस समय के हिसाब से आधुनिकतम तकनीक युक्त हथियारों से लैस। लेकिन समय के बदलाव के अनुसार एक आधुनिक सेना के लिए जिस कार्यसंस्कृति (Organizational culture) की जरूरत होती है, वह गायब। अरब देशों की सेनायें उसी कबीलाई उन्माद से कार्य करती थी, जैसा सदियों पहले किया करती थी (विस्तार से जानने के लिए आधुनिक युद्धों के इतिहास से सम्बंधित किताबें पढियेगा)।

नतीजा यह हुआ कि व्यक्तिगत बहादुरी और जोश में किसी भी तरह कम न होने के बावजूद अरब देशों की सेनायें बुरी तरह से हार गयीं।

अगले युद्ध में भी ऐसा ही हुआ। (1967 का अरब इजराइल युद्ध- जिसे सिक्स डेज वार के नाम से भी जाना जाता है)। उन्नत हथियारों, उन्नत तकनीक के बावजूद अरब सेनाओं की शर्मनाक पराजय हुई। आधुनिक सेना की कार्यसंस्कृति का अभाव इस पराजय का एक बड़ा कारण था।

अटल स्कूलों के परिणाम ताजा हैं। एक अच्छा प्रयास होने के बावजूद परिणाम अपेक्षित नहीं रहे, जिसके अनेकों कारणों में से एक कारण यह भी है कि अटल स्कूलों की कार्यसंस्कृति में कोई बदलाव नहीं किया गया, सिर्फ नाम बदलने और संसाधन जुटाने पर अधिक ध्यान दिया गया। याद रखिये दूरगामी असर के लिए सिर्फ तकनीक ही नहीं कार्यसंस्कृति (Organizational culture) में बदलाव के साथ कार्यसंस्कृति विकास (Organizational development) पर भी ध्यान देना होगा।

और हाँ, Organizational development का यह बुनियादी सिद्धांत न भूलियेगा कि काबिल लीडरशिप सिर्फ उच्च स्तर पर ही नहीं, सबसे निचले स्तर पर भी जरूरी होती है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

 

 

लेखक के बारे में-
(लेखक मुकेश प्रसाद बहुगुणा राजकीय इंटर कॉलेज मुंडनेश्वर, पौड़ी गढ़वाल में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता पद पर कार्यरत है। और वायु सेना से रिटायर्ड है। बहुगुणा समसामयिक विषयों पर सोशल मीडिया में व्यंग व टिप्पणियां लिखते हैं)

 

 

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