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बिग ब्रेकिंग: हाईकोर्ट के इस फैसले से उत्तराखंड में आया राजनीतिक भूचाल, पूर्व मंत्री हरक सिंह समेत कई अफसरों की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें

देहरादून: हाईकोर्ट ने कॉर्बेट पार्क में अवैध पेड़ कटान और निर्माण के बहुचर्चित मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है। सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत समेत कुछ आईएफएस व अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहे अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान के खिलाफ दायर देहरादून निवासी अनु पंत और स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली दो जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने मामले की जांच सीबीआई को दे दी है।

क्या है कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामला

साल 2019-20 में बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान पाखरो में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू किया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए। टाइगर सफारी के लिए करीब 163 पेड़ काटने की अनुमति ली गई, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार मौके पर 6000 पेड़ काट दिए गए। इस प्रकरण के सामने आने के बाद NTCA यानी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने मौके पर स्थलीय निरीक्षण किया और विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। मामला में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई गई। इसके बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, एनजीटी और उत्तराखंड वन विभाग ने भी अलग से अपनी जांच शुरू की। वहीं, भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने भी जांच करवाई, जिसमें डीजी फॉरेस्ट चंद्र प्रकाश गोयल शामिल थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकरण का संज्ञान लिया।

उधर, सुप्रीम कोर्ट की CEC यानी सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इन सभी जांचों को आधार बनाकर साल 2022 में अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सौंपी, जिसमें बताया गया कॉर्बेट फाउंडेशन के के करीब 200 करोड़ से ज्यादा के बजट का उपयोग भी किया गया और CAG की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है।

वहीं, CEC ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार बताया था। तमाम जांच रिपोर्ट्स सामने आने के बाद उत्तराखंड वन विभाग ने कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी को निलंबित कर दिया। इसके अलावा डीएफओ किशन चंद को भी निलंबित किया गया। यही नहीं, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग को भी विभाग की तरफ से निलंबित किया गया। तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ राजीव भरतरी को उनके पद से हटाया गया।

अभी इस मामले की विजिलेंस जांच कर रही है। इस मामले में पूर्व आईएफएस किशन चंद जेल जा चुके हैं। हाल ही में विजिलेंस ने पूर्व मंत्री हरक के प्रतिष्ठान से दो जेनरेटर बरामद किये थे।

 

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