अल्मोड़ा: लंबित मांगों पर कार्यवाही नहीं होने से नाराज वन आरक्षी, वन बीट अधिकारी संघ की जिला इकाई द्वारा प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय के बाहर सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया गया। इस दौरान कर्मचारियों ने उनके हितों पर कुठाराघात करने का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की।
तीन घंटे तक चले इस सांकेतिक धरना प्रदर्शन में अल्मोड़ा वन प्रभाग व सिविल एवं सोयम वन प्रभाग के कई रेंजों के वन आरक्षी शामिल हुए। वन आरक्षियों द्वारा अपनी लम्बित मांगों के सर्मथन में विचार-विर्मश किया गया।
इस दौरान कर्मचारियों ने वन सेवा नियमावली 2018 का विरोध कर पूर्व की भांति वन सेवा नियमावाली 2016 लागू करवाने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि 2018 वन सेवा नियमावली वन आरक्षियों के भविष्य व अधिकारों पर कुठाराघात करती है। इसके दुष्परिणाम यह है कि वन आरक्षी के पद पर 10 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद भी पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया है। कर्मचारियों ने वन सेवा नियमावली 2016 पुनः लागू करने की मांग की।
इसके अलावा कर्मचारियों ने 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके वन आरक्षियों की शीघ्र पदोन्नत करने, 24 घण्टे फील्ड में कार्य करने व तैनाती के सापेक्ष एक माह का अतिरिक्त वेतन, उप वन क्षेत्राधिकारी के पद पर पदोन्नति के लिए मूल पद (वन आरक्षी/वन दरोगा) की कुल सेवा 16 वर्ष करने, वन चौकी को बीट कार्यालय का दर्जा देकर मकान किराया भत्ता दिए जाने, वाहन भत्ता वर्तमान महंगाई दर से लागू किए जाने आदि मांगें पर कार्यवाही की मांग की है।
कार्यक्रम में दौरान प्रभागीय अध्यक्ष बलवंत सिंह भण्डारी, महामंत्री खजान सिंह मेहता, उपाध्यक्ष किशोर चन्द्र, महिला उपाध्यक्ष पूनम पंत, रोशन कुमार, त्रिभुवन उपाध्याय, घनानन्द भट्, कमला पाण्डे, दीपा मिश्रा, किरन तिवारी, सावित्री बेगड़ा, विमला देवी, कमलेश जोशी, धीरेन्द्र सजवान, राजेन्द्र सिंह, हेमन्त नयाल, नरेन्द्र सिंह, महेश चन्द्र सिंह आदि वन आरक्षी मौजूद रहे।
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