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अल्मोड़ा-(बड़ी खबर): साक्ष्य के अभाव में हत्या का आरोपी दोषमुक्त, पुलिस नहीं जुटा पाई पर्याप्त साक्ष्य व तथ्य, जानिए कोर्ट ने क्या कहा

अल्मोड़ाः कोतवाली क्षेत्र में एक अधेड़ की गला दबाकर हत्या के एक मामले में जिला सत्र न्यायाधीश श्रीकांत पांडेय की अदालत ने फैसला सुनाया है। अदालत ने ठोस साक्ष्य व तथ्य के अभाव में संदेह का लाभ देकर हत्या के आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है।

आरोपी के अधिवक्ता न्याय मित्र मनोज कुमार पंत ने बताया कि ग्राम पंचायत सैनार, अल्मोड़ा निवासी लछम सिंह ने 10 अगस्त 2021 को कोतवाली अल्मोड़ा में अपने भाई हर सिंह कनवाल की हत्या की आशंका के संबंध में तहरीर सौंपी थी। तहरीर के आधार पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान आरोपी विनोद सिंह लटवाल पुत्र पान सिंह लटवाल, निवासी ग्राम देवली, लोधिया का नाम सामने आया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। अभियोजन की ओर से न्यायालय में 17 गवाह पेश किए गए।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि तथ्यों व साक्ष्यों के विवेचन से स्पष्ट है कि इस मामले में आरोपी का मृतक व उसके परिवार के किसी सदस्य से पूर्व में कोई रंजिश नहीं है। आरोपी व मृतक के घटना के समय नशे की हालत में होने के तथ्य के बावजूद मृतक के शव में किसी प्रकार के एल्कोहल की कोई मात्रा पाये जाने का कोेई तथ्य या साक्ष्य नहीं है।

 

 

कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजन द्वारा जिन व्यक्तियों का घटना की शाम आरोपी के साथ टैक्सी में सवार होकर जाने और शराब पीने का तथ्य है, उनमें से परीक्षित किसी भी साक्षी ने आरोपी और मृतक को एक साथ देखे जाने का कोई बात नहीं की है।

कोर्ट ने कहा कि घटना के दिन शाम 5 बजे मृतक की पत्नी के बाजार में मृतक से मिलने के तथ्य के बावजूद मृतक की पत्नी को इस मामले में अभियोजन द्वारा न्यायालय में पेश या परीक्षित कराने का कोई पहल या प्रयास नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों के कथानानुसार मृतक 4 अगस्त को रात 9.00 बजे से 9.30 बजे तक अपनी पत्नी की बहन दीपा चौहान के घर पर था। जबकि सीसीटीवी फुटेज से सम्बन्धित साक्ष्य और इस सम्बन्ध में परीक्षित साक्षी के कथनानुसार कथित अल्टो कार संख्या- यूके 01 टीए-2775 उसके सीसीटीवी फुटेज में 9.10 बजे से 9.15 बजे के बीच दिखाई दी थी। इस प्रकार आरोपी की कथित कार सीसीटीवी फुटेज में जिस समय दिखाई दिये जाने का तथ्य है, वह समय आरोपी के मृतक की पत्नी की बहन दीपा चौहान के घर पर होने का है।

 

 

कोर्ट ने कहा कि मृतक के कथित मोबाइल के IMEI नम्बर तथा अभियुक्त से कथित बरामद मोबाइल के IMEI नम्बर में भिन्नता है। अभियोजन द्वारा यह स्पष्ट करने का प्रयास नहीं किया गया है कि जब आरोपी नशे की हालत में अल्टो कार को चला रहा था और उसे रास्ते में नशे की हालत में पैदल आता मृतक दिखाई दिया और मृतक तथा आरोपी के बीच कुछ कहासुनी हुई थी और इस कहासुनी के बीच आरोपी द्वारा कपड़े के पट्टे से मृतक का गला घोट दिया गया था, तो ऐसी स्थिति में सब कुछ अचानक होते हुये भी और आरोपी की मृतक अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य से कोई पूर्व रंजिश न होते हुये भी आरोपी ने अपनी कार में 7 फीट लम्बा कपड़े का पट्टा किस उद्देश्य से रखा था? इस प्रश्न का कोई जवाब अभियोजन के पास दिखाई नहीं देता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि, कथित मोबाइल और कपड़े के पट्टे की बरामदगी पहले से गिरफ्तार आरोपी की निशानदेही पर किये जाने के तथ्य के बावजूद न तो आरोपी के गाॅव के ग्राम प्रधान को गवाह बनाये जाने का कोेई प्रयास किया गया है, न उसके घर के आस-पड़ोस के किसी व्यक्ति को गवाह बनाने का ही प्रयास किया गया है। न्यायालय में प्रस्तुत कथित मोबाइल से सम्बन्धित प्लास्टिक के डिब्बे में किसी प्रकार की कोई चिटबन्दी नहीं पायी गई है। आरोपी से कथित बरामद मोबाइल का कोई विशिष्ट रंग, माॅडल या पहचान फर्द बरामदगी या पुलिस साक्षियों के धारा 161 दण्ड प्रक्रिया संहिता के बयानों में नहीं आई है, कथित मोबाइल व कपड़े के पट्टे की बरामदगी भी सन्देह की परिधि में है। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि अभियोजन पक्ष परिस्थितियों की कड़ियों की आरोपी से जोड़ पाने में किसी भी प्रकार सफल नहीं हुआ है।

 

 

कोर्ट ने कहा कि अभियोजन आरोपी की घटना में संलिप्तता भी सन्देह से परे स्थापित करने में सफल नहीं है। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से आरोपी द्वारा ही मृतक की हत्या किये जाने का कोई निश्चित निष्कर्ष निकाला जा सकना सम्भव नहीं है। अतः आपराधिक विधि शास्त्र के दर्शन को दृष्टि में रखते हुये आरोपी को सन्देह का लाभ देकर दोषमुक्त किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।

पत्रावली में मौजूद साक्ष्य व गवाहों का परिसीलन कर न्यायालय ने आरोपी विनोद लटवाल को उसके ऊपर लगाये गये आरोप धारा 302 एंव 201 भारतीय दण्ड संहिता से दोषमुक्त किया।

 

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