अल्मोड़ा। वन पंचायत संगठन ताकुला की एक बैठक बसोली में आयोजित की गई। जिसमें वन पंचायत नियमावली में किए गए संशोधनों पर चर्चा हुई। बैठक में वनाग्नि के कारणों को चिन्हित कर उससे निपटने के तरीकों पर चर्चा की गई। तय किया गया कि खेतों में खरपतवार जलाते समय सावधानी बरतने के लिए वन पंचायतों द्वारा ग्राम सभाओं में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा समय में वन पंचायतें तमाम समस्याओं से जूझ रही हैं। उनके लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं है। पिछले दशकों में कृषि व पशुपालन में आई गिरावट के कारण जंगलों में ग्रामीणों की निर्भरता काफी कम हुई है, इस कारण जंगल से घास, चारा पत्ती, लकड़ी इत्यादि लाने पर होने वाली वन पंचायत की आय भी लगभग समाप्त हो चुकी है। ऐसे में वित्तीय संसाधनों के अभाव में पंचायती वनों के प्रबंधन में दिक्कत आ रही है। दूसरी तरफ जंगलों से घास का उठान न होने से वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही हैं।
बैठक में सरपंचों द्वारा इस बात पर गहरी नाराजगी जताई गई की वन पंचायत नियमावली के अनुसार वार्षिक कार्य योजना की वित्तीय स्वीकृति रेंज स्तर पर दी जानी चाहिए, लेकिन इसके लिए उन्हें प्रभागीय वन अधिकारी से अनुमति लेनी पड़ रही है साथ ही वित्तीय स्वीकृति के दौरान माइक्रो प्लान में दी गई। कई महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़ दिया जा रहा है।
बैठक में वन क्षेत्राधिकारी मोहन राम, लोक प्रबंध विकास संस्था के ईश्वर जोशी, वन पंचायत संगठन के अध्यक्ष सुंदर सिंह पिलख्वाल, मोहन सिह बिष्ट, पूरन सिह, दुर्गा लोहनी, बहादुर मेहता, प्रताप सिंह नेगी, देवेंद्र सिह, इंदिरा देवी, रेखा देवी, चंदन सिंह, किशोर तिवारी, बालम सिह, सुशील कांडपाल, अशोक भोज, दीप्ति भोजक, पूजा, अंजू मेहता, किरन भाकुनी, मनोज कांडपाल समेत अन्य लोग मौजूद रहे।