Breaking News
Kafal, p.c- jyoti bhatt

Uttarakhand: पहले कोरोना की मार.. अब जंगल की आग ने छीना रोजगार

इंडिया भारत न्यूज़ डेस्क

पहाड़ी क्षेत्र के जंगलों में लगी आग का असर औषधीय गुणों से भरपूर काफल पर भी पड़ा है। जंगलों में आग से 50 से 60 फीसदी काफल जलकर नष्ट हो चुका है। यही कारण है कि पर्वतीय बाजारों में केवल नाम मात्र का ही काफल उपलब्ध है। अप्रैल से जून तक यह काफल कई ग्रामीणों की आर्थिकी का जरिया बनता है।

तीसरे साल भी छिना रोजगार
2 साल तक वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लगे लॉकडाउन के चलते न तो ग्रामीण काफल बेच सके, और न उसे खरीदने वाले खरीदार मिले। लेकिन जब 2 साल बाद कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम हुवी और सरकार ने कई प्रतिबंधों पर ढील दी तो ग्रामीणों के इस कारोबार पर आग का ग्रहण लग गया। इस साल खरीदार तो हैं, लेकिन जंगलों में काफल ही नहीं मिल रहे हैं।

दाम में भी इजाफा
जंगलों में धधक रही आग से कुमाऊं व गढ़वाल दोनों जगह जंगलों मे भारी मात्रा में काफल नष्ट हो चुका है। इस बार काफल कम होने से ग्रामीण व पर्यटकों में मायूसी छाई हुई है। काफल की मात्रा कम होने ने इसके दाम में भी असर पड़ा है। इन दिनों काफल 300 से 400 रुपये तक बिक रहा है।

पेट के लिए रामबाण है काफल
गर्मी में ठंडक प्रदान करने वाला फल काफल औषधीय गुणों से भरपूर है। इसको खाने से पेट से जुड़ी अतिसार, अल्सर, गैस, कब्ज, एसिडिटी जैसी कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं। मानसिक बीमारियों सहित कई अन्य बीमारियों के लिए भी काफल फायदेमंद है। यह एंटी आक्सीडेंट और एंटी डिप्रेसेंट तत्वों से भरा होता है।

Check Also

Monsoon Marathon:: अल्मोड़ा में 28 को होगी ‘मानूसन मैराथन’, अल्मोड़ा समेत कई जिलों के धावक लेंगे हिस्सा, प्राइज मनी समेत जानें पूरी डिटेल्स

अल्मोड़ा: श्री यूथ क्लब धारानौला की ओर से सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में पहली बार ‘मानूसन …