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अल्मोड़ा: पर्यावरण संस्थान के नए निदेशक प्रो. नौटियाल ने ग्रहण किया पदभार, जानिए कौन है प्रो. नौटियाल

अल्मोड़ा। प्रो. सुनील नौटियाल ने शुक्रवार को गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल के निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है। कुछ समय पहले उनका संस्थान के निदेशक के रूप में चयन हुआ था। इससे पूर्व प्रो. नौटियाल बंगलुरू स्थित सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान के पारिस्थितिक अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहे।

आईसीएसएसआर के वैज्ञानिकों में वे शीर्ष वैज्ञानिकों के बीच अपना स्थान रखते हैं। प्रो. नौटियाल ने अपना शोध कार्य (पीएचडी) गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल में प्रो. आर के मैखुरी के दिशा निर्देशन में संपन्न किया और 1999 में एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। प्रो. नौटियाल की विशेषज्ञता सामाजिक पारिस्थितिकी शोध में है और कार्यक्षेत्र में मुख्यत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और संरक्षण सतत विकास के लिए सामाजिक आर्थिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोण, उत्पादन प्रणाली विश्लेषण संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन और मानव वन्यजीव संघर्ष और सहअस्तित्व भू-उपयोग और भू आवरण विश्लेषण, सतत आजीविका विकास पारिस्थितिक मॉडलिंग भूदृश्य अनुसंधान में सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) और भौगोलिक सूचना प्रणाली की भूमिका, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक पारिस्थितिकी विकास की गतिशीलता जैसे शोध विषय शामिल हैं।

प्रो. नौटियाल के अभी तक 180 से अधिक शोध पत्र और लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन गृहों से 16 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रो. नौटियाल को विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरूस्कार मिल चुके है। वर्ष 2003 में उनको जापान से जेएसपीएस रिसर्च फेलोशिप पुरस्कार मिला जिसके तहत उन्होंने टोक्यो विश्वविद्यालय में 2003-2005 तक शोध कार्य किया। वर्ष 2006 में प्रो० नौटियाल को जर्मनी में प्रतिष्ठित अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फैलोशिप से सम्मानित किया गया। हम्बोल्ड्ट  के तहत उन्होंने जर्मनी में दो वर्षों तक शोध किया और जर्मनी और भारत के लिए शोध कार्यशीलता हेतु सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए।

प्रो. नौटियाल को शोध प्रकाशनों के लिए जर्मनी में 2007 से 2008 के लिए सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं में से एक के रूप में नामित किया गया और उनके शोध कार्य और प्रकाशनों के​ लिए के रूप में सम्मानित किया गया। वर्ष 2010 में उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी (एनआईई) के फेलो के रूप में चुना गया। उन्होंने वर्ष 2010 से 2013 के दौरान सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल सिस्टम रिसर्च कासेल विश्वविद्यालय जर्मनी में विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में काम किया है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रो. नौटियाल को एलपीयू जालंधर में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (3-7 जनवरी 2019 में पर्यावरण विज्ञान खंड के लिए प्लेटिनम जुबली व्याख्यान अवार्ड से सम्मानित किया गया जिसका उद्घाटन भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। वर्ष 2021 में प्रो० नौटियाल को आईसीएसएसआर भारत सरकार के सभी शोध संस्थानों में शीर्ष तीन वैज्ञानिकों की सूची में स्थान दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के विषयगत क्षेत्रों में 30 अनुसंधान परियोजनाओं में परियोजना निदेशक, प्रमुख अन्वेषक के रूप में कार्य किया है।

शोध कार्यशीलता के लिए प्रो० नौटियाल को जर्मनी और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के उत्सव के अवसर पर हम्बोल्ट कोलेग पुरस्कार प्रदान किया गयाजिसका उद्देश्य जर्मनी और भारत के बीच बेहतर वैज्ञानिक सहयोग को मजबूत किया जाना शामिल था।

पिछले कुछ वर्षों में प्रो० नौटियाल ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लगभग 22 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों कार्यशालाओं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया। उन्होंने सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के लिए फील्ड स्कूल कार्यक्रम का समन्वय किया। जिसमें कर्नाटक वन विभाग, वानिकी कॉलेज, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, पोन्नमपेट मदिकेरी को भी समाहित कर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रो. नौटियाल 2010 से 2016 तक भारत नार्डिक अंतराष्ट्रीय पाठ्यक्रम के संयोजक भी रहे।

शुक्रवार को संस्थान के निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने पर संस्थान के निवर्तमान निदेशक प्रभारी, ई. किरीट कुमार एवं समस्त संस्थान परिवार ने उनका स्वागत किया तथा उन्हें उनकी नयी जिम्मेदारी की शुभकामनाएं दी तथा साथ ही अपेक्षा की की उनके नेतृत्व में संस्थान नई उंचाईयों को प्राप्त करेगा।

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