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शमशेर स्मृति समारोहः वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डाॅ. जुयाल ने क्यों कहा उत्तराखंड में और बढ़ने वाली हैं आपदाएं, पढ़ें पूरी खबर

अल्मोड़ाः ख्यातिलब्ध आन्दोलनकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और पत्रकार स्व. डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट की चौथी पुण्य तिथि पर उन्हें याद किया गया। उत्तराखंड लोक वाहिनी की ओर से नगर के एक होटल सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेशभर के कई आंदोलनकारी, वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, सोशल एक्टिविस्ट, पाॅलिटिक्ल एक्टिविस्ट समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान सभी ने स्व. डाॅ. शमशेर की स्मृति दिवस पर उन्हें याद कर भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस कार्यक्रम में जाने माने भूगर्भविद् व हिमालयी मामलों के जानकार डाॅ. नवीन जुयाल ने शिरकत की। ‘हिमालय के संकट और समाधान‘ विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए डाॅ. जुयाल ने कहा कि हिमालय क्षेत्र काफी संवेदनशील है लेकिन उत्तराखंड में जिस तरह से विकास कार्य चल रहे है जिसमें बांध, सड़कें प्रमुख रूप से शामिल है, इनसे आज हिमालय को खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि समाज को इनकी भी जरूरत है। लेकिन हिमालयी संसाधनों का किस तरह इस्तेमाल होना चाहिए, इस पर शोध व संशोधन नहीं हो पाए।

डॉ. नवीन जुयाल, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक

 

डाॅ. जुयाल ने कहा कि पिछले एक दशक में उत्तराखंड में आपदा की घटनाएं तेजी से बढ़ी है, अगर समय रहते सचेत नहीं हुए तो यह घटनाएं और तेजी से बढ़ने वाली है। 2010 व 2013 की आपदा हो या फिर फरवरी 2021 में चमोली रैंणी की आपदा, यह प्रकृति से छेड़छाड़ व अंधाधुंध विकास का नतीजा है। डाॅ. जुयाल ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों खासतौर पर 2 हजार मीटर से ऊपर वाले क्षेत्रों में छेड़छाड़ करने से पहले सरकार को उस क्षेत्र का वैज्ञानिक ब्लू प्रिंट व ज्योलाॅजिकल शोध व सर्वे कराना चाहिए। जिसके बाद ही आपदाओं पर रोक लग सकती है।

वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डाॅ. जुयाल ने कहा कि उत्तराखंड में आपदाओं के बढ़ने का सबसे बढ़ा कारण क्लाइमेट चेंज है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रदेश सरकार ने आपदाओं की रोकथाम व क्लामेंट चेंज को लेकर डाॅक्यूमेंट तैयार किया, जिसमें कहा गया था कि सडकों को चौड़ा करना है तो कैसी पद्धति अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उस समय वह खुद एचपीसी (हाई पाॅवर कमेटी) में थे। उन्होंने भी यह बात रखी थी। लेकिन जब बात उस प्लान को जमीन पर उतारने की आती है तो चीजें उस तरह से नहीं दिखाई देती है। जिससे सरकार की कथनी व करनी में साफ अंतर नजर आता है।

 

इंद्रेश मैखुरी, जन आंदोलनकारी

जल, जंगल, जमीन के बाद राज्य में अब नौकरियों में लूटः मैखुरी

कार्यक्रम में ‘आज का उत्तराखंड और चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार रखते हुए जन आंदोलनकारी व भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जिन आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़ी, संघर्ष किया आज उनके लिए यह चुनौती हो गया। उन्होंने कहा कि 1970 में पहाड़ी राज्य हिमांचल के गठन की शुरूआत हुई। उस समय संविधान में उसे जिस तरह का लोककल्याणकारी राज्य दर्शाया गया। उसकी झलक उस राज्य के गठन के बाद वहां की योजनाओं व कार्यों में दिखी। वही, दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही काॅरपोरेट के चंगुल में फंसा व संसाधनों की लूट वाला राज्य बन गया।

वही, उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में हुई धांधली पर मैखुरी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन की लूट के बाद अब नौकरियों की लूट का बड़ा खेल इस राज्य में हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अभी तक जो भी व्यक्ति विधानसभा में चुनकर गया है चाहे वह किसी भी पार्टी से संबंध रखता हो, वें सब इन नौकरियों की लूट में शामिल हैं। मैखुरी ने कहा कि हाकम, मनराल, मूसा जैसे कुछ छोटे लोगों को पकड़कर पुलिस जांच पूरी होने की बात कह रही है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या इतना बड़ा गड़बड़झाला बिना किसी राजनीतिक संरक्षण के हुआ?

मैखुरी ने कहा कि प्रदेश की धामी सरकार ने यूकेएसएसएससी के बाद उस लोक सेवा आयोग को परीक्षाओं का जिम्मा सौंपा है, जो 22 सालों में पीसीएस की सिर्फ 6 भर्ती करा सका। और 6 साल बाद आयोग ने जो पिछले वर्ष पीसीएस की परीक्षा कराई, उसमें भी एक दर्जन सवाल गलत थे। यही नहीं आयोग द्वारा 2018 में कराई गई प्रवक्ता भर्ती में भी गड़बड़ी सामने आई। आयोग के एक सदस्य पर एक महिला के साथ छेड़छाड़, पैसे मांगने व शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाने का आरोप भी लगा।

वही, विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों पर मैखुरी ने कहा कि राज्य के लिए विधान बनाने वाली विधानसभा की खुद की भर्तियों के लिए कोई विधान नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल व प्रेमचंद्र अग्रवाल ने नियमों को ताक पर रखकर जिस तरह से विधानसभा में अवैध नियुक्तियां की है, वह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध है, ऐस में दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

 

इस दौरान विधायक मनोज तिवारी, नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी तिवारी, स्व. डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट की पत्नी रेवती बिष्ट, उनके पुत्र अजयमित्र बिष्ट ने भी अपने विचार रखे। साथ ही कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर रंगकर्मी व पत्रकार नवीन बिष्ट, दयाकृष्ण कांडपाल ने जनगीत गाकर स्व. डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन उलोवा के केंद्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह ने किया। कार्यक्रम के अंत में एडवोकेट जगत रौतेला ने सभी का आभार व्यक्त किया।

ये रहे मौजूद-

इस अवसर पर जंगबहादुर थापा, आनन्द सिंह बगडवाल, प्रताप सिह सत्याल, राम सिंह, बसन्त खनी, अजय मेहता, हारिस मोहम्मद, रोहित जोशी, शिवदत्त पांडे, डाॅ. जे.सी दुर्गापाल, हयात रावत, उदय किरौला, पूरन रौतेला, सुरेश तिवारी, विशन दत्त जोशी, शेखर लखचौरा, दिनेश पाण्डे, कपिलेश भोज, दीपा तिवारी, कलावती तिवारी, शिवराज सिंह, आशीष जोशी, नीरज सिंह पांगती, नीरज भट्ट, चंद्र प्रकाश समेत कई लोग मौजूद रहे।

 

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