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अधिकारियों के मनमाने फैसलों से कर्मचारी, शिक्षक संगठनों में रोष, जानिए क्या है पूरा मामला

पदाधिकारियों ने कहा दोहरापन किसी भी दशा में नहीं किया जाएगा बर्दाश्त

अल्मोड़ा: राज्य सरकार के विभागों में दोहरे मापदंड से उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन उत्तराखंड की जनपद इकाई व एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफिसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल, नैनीताल द्वारा असंतोष व्यक्त किया है। पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पदोन्नति व स्थानांतरण विसंगति को समाप्त करने के लिए एक्ट लागू किया गया। लेकिन एक्ट को पदस्थापना के मामले में दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। किसी विभाग में लेवल 10 को उसी जनपद में पदोन्नति दी जाती है और कुछ विभागों में जनपद से बाहर अनिवार्य रूप से तैनाती दी जा रही है। शासन द्वारा इस फैसले पर एकरूपता रखनी चाहिए और बाहरी जनपद ऐच्छिक रखना चाहिए। सेवा के अंतिम पद पर जिले से बाहर करना मानवाधिकार व प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।

पदाधिकारियों ने कहा कि एक्ट बनने के बाद ऐसा लगता था कि प्राकृतिक न्याय के आधार पर स्थानांतरण व पदोन्नति की कार्यवाही होगी। लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। हर विभाग के अधिकारियों द्वारा मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। कुमाऊं मण्डल नैनीताल में शिक्षा विभाग में सदस्यों को प्रथम विकल्प व द्वितीय विकल्प न देकर 7वां, 8वां विकल्प दिया गया है। विभाग के इस निर्णय के खिलाफ भी जांच की अपील की गई है। पदाधिकारियों को एक्ट का लाभ नहीं दिया गया है जबकि काउंसलिंग से संबंधित शासनादेश में सब स्पष्ट किया गया है।

धीरेंद्र कुमार पाठक, सचिव, कुमाऊं मंडल

सदस्यों ने कहा कि जिला अध्यक्ष व सचिव को उसी जनपद में पदोन्नति देनी चाहिए और अन्य सदस्यों के लिए बाहरी जनपद ऐच्छिक किया जाना चाहिए। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को आहरण वितरण अधिकार प्रदान करना, उनका गजट नोटिफिकेशन जारी करना व कार्य व उत्तरदायित्व को शासन स्तर से जारी करना आदि मामलों में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संवाद हीनता की स्थिति चरम पर पहुंच गई है। एक तरफ राज्य सरकार पहाड़ के जनपदों से पलायन रोकने के लिए नीति बनाने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ अनिवार्य रूप से अंतिम पदोन्नति में जिले से बाहर भी कर रही है इससे स्पष्ट हो गया है कि सरकार भी पलायन के मामले में गंभीर नहीं है। एक्ट में समूह ख को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है मिनिस्ट्रीयल संवर्ग के कार्य को भी संवेदनशील माना जाना किसी भी दृष्टिकोण से न्यायोचित नहीं है। उत्तराखंड शासन में एक तरह की कार्यवाही नहीं होने से सदस्यों में भी रोष व्याप्त है।

उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, अल्मोड़ा के जिला अध्यक्ष डॉ मनोज कुमार जोशी, सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा है एक्ट पारदर्शिता का प्रतीक है तो सभी के साथ न्यायोचित कार्यवाही होनी चाहिए। दोहरा व्यवहार किसी भी दशा में उचित नहीं है। एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफिसर्स एसोसिएशन, अल्मोड़ा के अध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा, जिला मंत्री मुकेश जोशी व जिला अध्यक्ष नैनीताल हरिशंकर सिंह नेगी, सदस्य कुंदन सिंह अधिकारी, पीताम्बर जोशी द्वारा भी एक्ट में समानता लाने पर बल दिया है। कहा कि जो मुख्य प्रशासनिक अधिकारी अपने जनपदों से दूसरे जनपद में तैनात हैं उन्हें उनके मूल जनपद में स्थानांतरित करना चाहिए।

सचिव कुमाऊं मंडल, नैनीताल धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि दोहरापन किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अधिकारियों को प्राकृतिक न्याय को दृष्टिगत रखते हुए फैसले लेने चाहिए, अन्यथा आंदोलन होगा। उत्तराखंड बनाने के लिए भी 94 दिन की हड़ताल उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के बैनर तले हुई थी। उन्होंने कहा कि मांग पर कार्यवाही नहीं हुई तो उसी तर्ज पर आंदोलन की शुरुआत कर जाएगी।

 

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