इंडिया भारत न्यूज़ डेस्क(IBN): सुप्रीम कोर्ट से सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के कुलपति पद पर प्रो. नरेंद्र सिंह भण्डारी को बड़ा झटका लगा है। SC ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। न्यायालय ने विश्वविद्यालय कानून, 2019 और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमन 2018 के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर उनकी नियुक्ति रद्द की।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने भंडारी की नियुक्ति को रद्द करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। पीठ ने कहा, उपरोक्त चर्चा और बताए गए कारणों के मद्देनजर, वर्तमान अपील नाकाम हो जाती है और यह खारिज करने योग्य है और इसे खारिज किया जाता है।
HC के फैसले को SC में दी थी चुनौती
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 2021 में देहरादून निवासी रविंद्र जुगराण ने याचिका दायर की थी। जिसमे उन्होंने कहा कि प्रो. भंडारी के पास आवश्यक रूप से प्रोफेसर के रूप में शिक्षण का 10 वर्ष का अनुभव नहीं है जो कि यूजीसी (विवि अनुदान आयोग ) के मानकों के अनुसार कुलपति पद के लिए आवश्यक है। राज्य सरकार ने भंडारी को अगस्त 2020 में सोबन सिंह जीना विवि का कुलपति नियुक्त किया था। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था भंडारी आठ वर्ष प्रोफेसर रहे हैं। उसके बाद वह उत्तराखंड सिविल सेवा आयोग में सदस्य बन गए। हाईकोर्ट ने कुलपति प्रो. भंडारी की नियुक्ति निरस्त कर दी थी। उन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें उन्हें कुलपति के पद से हटाने का आदेश दिया गया था।
4 नवंबर को दिया इस्तीफा
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के पहले कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने बीते 4 नवंबर को अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था। उन्होंने अपना इस्तीफा कुलाधिपति राज्यपाल को भेजा है। इस संबंध में पूछने पर उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा देने की बात कही थी। त्यागपत्र देने के बाद प्रो. भंडारी ने एसएसजे कैम्पस के विभाग जॉइन कर लिया था। हालांकि, प्रो. भंडारी के इस्तीफे को लेकर कई तरह की चर्चाएं थी।
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