अल्मोड़ा: उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों ने आज ज़िला प्रशासन के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कर प्रदेश में किसी भी व्यक्ति को बिना पुनर्वास के अतिक्रमण के नाम पर न हटाने हेतु कानून बनाने की मांग की।
नगर पालिका परिषद में प्रशासन द्वारा बनाए गए केंद्र में दिए गए ज्ञापन में हल्द्वानी के बनभूलपुरा में पिछले दिनों हुई अफरातफरी के पीछे सरकार की अदूरदृष्टि नीति व न्यायालय में मामले को उचित रूप से न रखने का ज़िम्मेदार बताते हुए कहा कि उत्तराखंड में लाखों लोग जिनमें सभी धर्मों, जातियों के लोग शामिल हैं। सरकार की कथित नजूल भूमि में रहते हैं और सरकार व प्रशासन द्वारा उन्हें नोटिस ज़ारी किए जा रहे हैं।
इस मौक़े पर विभिन्न संगठनों ने कहा कि एक ओर गरीबों, मेहनत करने वालों के प्रति सरकार कहर ढाती है दूसरी ओर उत्तराखंड आज पूंजीपतियों, भू माफियाओं का ऐशगाह बन गया है। ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती इसमें अल्मोड़ा का डांडाकांडा भी शामिल है।
ज्ञापन में कहा कि यदि संपत्ति का इसी तरह कुछ लोगों के पक्ष में केंद्रीकरण हुआ तो आम लोगों का जीवन दूभर हो जाएगा। ज्ञापन में सरकार से शहरों में भूमि रखने की अधिकतम सीमा तय करने की मांग की।
इस अवसर पर उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि हेलंग मामले से एकजुट हुए तमाम संगठनों के प्रदेशव्यापी आह्वान को लेकर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक ओर अवैध तरह से कब्जा कराने वाले अधिकारियों व राजनेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की जा रही है वही, दूसरी ओर लोगों में भय पैदा कर व उन्हें आतंकित कर उनकी सर से छत छीनने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था को लेकर नीति बनाये।
ज्ञापन देने में उपपा की केंद्रीय उपाध्यक्ष आनंदी वर्मा, महासचिव नारायण राम, केंद्रीय कार्यकारणी के सदस्य एड. गोपाल राम, राजू गिरी, वसीम, किरन आर्या, नगर अध्यक्ष हीरा देवी, रमा आर्या, उत्तराखंड छात्र संगठन की भारती पांडे, दीपांशु पांडे, उलोवा के पूरन चंद्र तिवारी, अजयमित्र बिष्ट, कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा, उपपा की सरिता मेहरा, मीना टम्टा समेत अनेक लोग मौजूद रहे।
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