अल्मोड़ा: मां जैसा प्यार दुनिया में शायद ही कोई करता होगा। बच्चे को जब चोट लगती है तो उसके मुंह से पहला शब्द मां होता है। लेकिन वही मां जब अपने ही कलेजे के टुकड़े की कातिल बन जाए तो क्या कहेंगे। ऐसी खबरें जब भी सामने आती है तो यकीन नहीं होता कि एक मां भी कातिल हो सकती है, वो भी उस नवजात की जिसने दुनिया में आने के बाद अभी पूरी तरह से आंखे भी नहीं खोली हो।
अल्मोड़ा जिला सांस्कृतिक नगरी व बौद्धिक विरासत के लिए देशभर में अपनी पहचान रखता है। लेकिन इसी जिले के मुख्यालय में बुधवार यानि आज एक हृदयविदारक व इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई। एक कलयुगी मां ने अपने जिगर के टुकड़े को जन्म देने के बाद उसे मरने के लिए झाड़ियों में फेंक दिया। जहां नवजात शिशु कई दिन तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते रहा और करीब दो सप्ताह से अधिक समय बाद आज उसका सड़ा-गला शव बरामद हुआ। घटनास्थल पर मौजूद जिस व्यक्ति ने भी मां का यह क्रूर रूप देखा, उसकी आंखे भर आई। सभी लोगों के जहन में बस यही सवाल थे, ‘आखिर इस मासूम का क्या कसूर था’, ‘कोई मां कैसे इतनी निर्दयी हो सकती है’।
नवजात शिशु को नहीं बचा पाने का अफसोस
यह घटना त्रिपुरासुंदरी वार्ड के स्यूनराकोट मोहल्ले की है। जिस बंजर खेत में नवजात को फेंका था वहां आस-पास कई रिहायशी आवास है। घटनास्थल से चंद कदम दूर रहने वाली नमिता साह ने कहा, ‘करीब 15 दिन पहले मैंने झाड़ियों के पास से बच्चे की रोने की आवाज सुनी। तीन दिन तक सुबह-शाम बच्चे की रोने की आवाज सुनी। खेत में काफी बड़ी झाड़ियां होने के चलते मुझे उधर जाने की हिम्मत नहीं हुई। पास में कई मकान है तो मुझे लगा कोई नए किराएदार आये होंगे, शायद उनका बच्चा रो रहा होगा, इसके चलते मैंने अधिक ध्यान नहीं दिया। झाड़ियां कटने के बाद आज मैं अपनी गाय को लेने खेतों में आई तो वहां मुझ़े कूड़ा जैसा कुछ दिखाई दिया। मैंने पास जाकर देखा तो वह बच्चे का शव था। लेकिन मुझे यकीन नहीं हुआ, जिसके बाद मैं कुछ और आगे गई तो बच्चे के हाथ दिखे। तब मुझे यकीन हुआ कि यह नवजात शिशु का ही शव है। मैंने इसकी सूचना अपने परिजनों को दी। मुझे बहुत दुख है कि 15 दिन पहले मैं बच्चे के रोने की आवाज सुन यहां आ गई होती तो शायद आज यह बच्चा जिंदा होता।’
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दरअसल, जिस जगह पर नवजात को मरने के लिए छोड़ दिया गया था, वहां पहले काफी झाड़िया थी। शव मिलने के एक दिन पहले यानि बीते मंगलवार को मजदूरों ने खेतों से झाड़िया काटी थी। लेकिन मौत की नींद सोये नवजात शिशु की ओर किसी भी शख्स का ध्यान नहीं गया।
बीजेपी नगर अध्यक्ष व लक्ष्मेश्वर वार्ड के सभासद अमित साह मोनू भी घटनास्थल पर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक कृत्य है। किसी बच्चे का जीवन शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया गया। इस तरह किसी बच्चे को मरने के लिए छोड़ देने से अच्छा होता कि इसके मां-बाप बच्चे को किसी जरूरतमंद को दे देते। उन्होंने पुलिस से मांग की है कि वह दोषियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
हर एंगल से जांच कर रही पुलिस
किस निर्दयी मां ने यह कृत्य किया फिलहाल यह जांच का विषय है। किसी विवाहित महिला ने नवजात की हत्या की या फिर लोकलाज के डर से किसी युवती ने इस वारदात को अंजाम दिया। भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियां व लड़का-लड़की में भेदभाव भी उत्तराखंड में एक बड़ी समस्या है। लड़की पैदा होने पर किसी महिला ने परिजनों के दबाव में आकर मजबूरन यह कृत्य किया, या फिर हत्यारी मां ने स्वयं परिजनों के साथ मिलकर इस नजवात को मरने के लिए छोड़ दिया हो, ऐसे तमाम सवालों के साथ पुलिस घटना की तह तक जाने के लिए हर एंगल से मामले की जांच में जुटी है।
इस मामले में फिलहाल पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया है। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली अरूण कुमार ने बताया कि गुरुवार को शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद ही कई चीजें स्पष्ट होंगी। नवजात को झाड़ियो में फेंकने वालों की तलाश की जा रही है।