अल्मोड़ा: अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के अधीन बेस अस्पताल में जल्द ही लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू होने की उम्मीद है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो दो माह के भीतर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू हो जाएगी। जिसका लाभ अल्मोड़ा जिले के साथ ही बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जिले के मरीजों को भी मिल सकेगा। यह सुविधा शुरू होने से जहां मरीजों को महानगरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी वही, निजी अस्पतालों में जाकर महंगा खर्च नहीं करना होगा।
सोमवार को बेस अस्पताल के प्रिंसिपल कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में जनरल सर्जरी विभाग के एचओडी डाक्टर ए सत्यनारायण राव (HOD Dr. A Satyanarayana Rao) ने जानकारी देते हुए कहा कि बेस अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए कुछ उपकरण व अन्य सामान उपलब्ध हो चुका है। अन्य जरूरी उपकरण व प्रक्रिया पूरी होते ही अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू कर दी जाएगी। जिसमें करीब दो माह का समय लगेगा। यह सुविधा शुरू होते ही पित्त की थैली, पथरी, अपैंडिक्स, हार्निया, लीवर आदि की सर्जरी बिना चीरा लगाए हो जाएगी।
डॉक्टर राव ने कहा कि बेस अस्पताल में हाल ही में कई जटिल आपरेशन किए जा चुके है। अस्पताल में अब थायराइड, ब्रेस्ट समेत सभी प्रकार के कैंसर की सर्जरी की सुविधा भी उपलब्ध है।
वही, बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अशोक (Medical Superintendent Dr Ashok) ने कहा कि अस्पताल में अब तक 70 से अधिक मरीजों की डायग्नोस्टिक एंडोस्कोपी की जा चुकी हैं। हर सप्ताह करीब 7 से अधिक मरीज एंडोस्कोपी के लिए पहुंचते है। उन्होंने कहा कि एंडोस्कोपी के तहत अस्पताल में अब ईएसटी, बैंडिंग आदि सुविधा भी मरीजों को मिल रही है।
पत्रकार वार्ता के दौरान मेडिकल कॉलेज के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर अनिल पांडे मौजूद रहे।
क्या है लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
लेप्रोस्कोपी, सर्जरी का एक प्रकार होता है। इसकी मदद से डॉक्टर मरीज के शरीर में बिना कोई बड़ा चीरा लगाए अंदरूनी पेट या पेल्विस के अंदर तक सर्जरी करने में सझम हो पाते हैं। लेप्रोस्कोपी सर्जरी को ‘कीहोल’ सर्जरी (Keyhole) और न्यूनतम चीरा सर्जरी (Minimally invasive surgery) के नाम से भी जाना जाता है। इस सर्जरी के दौरान किसी बड़े आकार का चीर लगाने से बचा जा सकता है, क्योंकि इसमें सर्जरी करने वाले डॉक्टर (सर्जन) लेप्रोस्कोप (Laparoscope) नाम के उपकरण का इस्तेमाल करते हैं।