अल्मोड़ा। धौलादेवी ब्लॉक के ग्रामीण इन दिनों पेयजल संकट से जूझ रहे है। ऐसा नहीं है कि संकटग्रस्त गांवों में पेयजल लाईनें नहीं हैं। करोड़ों रुपये की लागत से पेयजल लाईनें बनाकर हर घर तक नल पहुंचाए गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि नलों में जल ही नहीं है। और ग्रामीणों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।
धौलादेवी ब्लॉक के दन्या, ध्याड़ी, पोखरी, कलौटा न्याय पंचायतों के सैकड़ों गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने को साल 2016 में 42 करोड़ की लागत से सरयू दन्या पम्पिंग योजना बनी है। हाल में ही सात करोड़ से अधिक लागत से गैराड़ पम्पिंग योजना बनी है। जल निगम की दोनों ही योजनाओं में नदी से पानी खींचने को बनाए फिल्टर हाउस तकनीकी दृष्टि से फेल हैं। हल्की सी बारिश में भी गाद आने पर पम्पिंग नहीं हो पाती।
विवाह व अन्य अवसरों पर सड़क मार्ग से लगे लोग टैंकरों के जरिए या फिर हैंडपंप से वाहनों से पानी ढोकर काम चला रहे हैं जबकि दूरस्थ ग्रामीणों की घोड़ों के माध्यम से पानी लाना मजबूरी है।
क्षेत्र के दन्या, गौली, भनार, नायल, भैसाड़ी, सिर गांव, अनोली, पपोली, नायलधूरा समेत दर्जनों गांवों में लोगों को जरूरत के मुताबिक पेयजल नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण का आरोप है शिकायत करने के बाद भी जल निगम के जेई और अन्य अधिकारी समस्या का हल नहीं कर रहे हैं। पेयजल के नाम पर करोड़ों रूपया फाइलों में बहा दिया गया है। पानी की आपूर्ति कब सुचारू होगी यह सवाल उठना वाजिब है।
योजनाओं की उच्च स्तरीय जांच जरूरी
अल्मोड़ा। सरकार ने पेयजल व्यवस्था के लिए पर्याप्त बजट दिया है। गुणवत्तापूर्ण योजना बनाकर ग्रामीणों को जरूरत के मुताबिक पानी उपलब्ध कराना जल निगम और जल संस्थान का कर्तव्य है। पूर्व जिपं सदस्य रमेश जोशी का कहना है यदि योजनाओं के निर्माण में हुई तकनीकी खामी के लिए भी विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। इन योजनाओं की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच होनी जरूरी है, ताकि वास्तविकता सामने आ सके। यदि जांच में निर्माण संस्था की गलती पाई जाती है तो ऐसे अधिकारियों से योजना लागत की वसूली कर फिर से योजनाओं को सही करवाया जाना चाहिए।
मुख्य विकास अधिकारी दिवेश शासनी ने कहा कि, सरकार हर घर तक पेयजल उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है। पूर्व में बनीं योजनाओं के अलावा जल जीवन मिशन में भी दर्जनों नई योजनाओं का निर्माण भी हुआ है। ऐसे में लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाना गंभीर चूक है। संबंधित विभागों का इस अवस्था को लेकर जवाब तलब होगा। साथ ही प्रशासन का प्रयास होगा कि अभावग्रस्त क्षेत्रों में जल्द पानी की आपूर्ति सुचारू हो सके।