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अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज बना ‘सफेद हाथी’, गर्भवती महिलाएं निजी अस्पतालों में प्रसव कराने को मजबूर

अल्मोड़ा। अल्मोड़ा व इससे लगे पर्वतीय जिलों के बांशिदों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल पाए, इस उद्देश्य के साथ खोला गया मेडिकल कॉलेज सफेद हाथी बनकर रह गया है। गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रकरणों के बढ़ते रेफरल मामलों को लेकर गुरुवार को रेडक्रॉस सोसायटी एवं नगर निगम के पार्षदों के एक शिष्टमंडल ने कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा और व्यवस्था में शीघ्र सुधार लाने की मांग उठाई।

 

ज्ञापन में गर्भवती महिलाओं को रेफर करने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार ने करोड़ों रुपये की लागत से मेडिकल कॉलेज की स्थापना की है। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है और सरकारी सुविधाओं पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है।

 

 

ज्ञापन में कहा कि मेडिकल कालेज में मध्यमवर्गीय एवं निर्धन वर्ग की महिलाएं प्रसव के लिए आती हैं अधिकांश मामलों में चिकित्सकों द्वारा उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है जिसके बाद वें निजी अस्पतालों में प्रसव कराने को मजबूर होती हैं और उन्हें इसके बदले अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ती है।

 

उन्होंने कहा कि सरकार अन्तिम छोर में बैठे व्यक्ति को सरकारी सुविधाएं दिलाने की दिशा में काम कर रही है। अगर मेडिकल कॉलेज में यह अव्यवस्था नहीं रूकती है तो इसकी शिकायत वह आगे मुख्यमंत्री से करेंगे। उधर, डीएम ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर व्यवस्था को सुधारने का आश्वासन दिया है।

 

ज्ञापन सौंपने वालों में रेडक्रास सोसाइटी के अध्यक्ष आशीष वर्मा, मनोज सनवाल, पार्षद अमित साह मोनू, दीप जोशी, अंजू बिष्ट, आशा बिष्ट, राहुल जोशी, मीरा मिश्रा, ज्योति साह, नेहा टम्टा, संजय कुमार जोशी, अभिषेक जोशी, विजय भट्ट, मनोज भंडारी समेत अन्य पार्षद मौजूद रहे।

 

 

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