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Almora:: मजदूर को मेडिकल कॉलेज समेत दो अस्पतालों में नहीं मिल पाया उपचार, मौत

अल्मोड़ा। गैराड़ मंदिर में एक दर्दनाक हादसा हो गया। जहां काम करने के दौरान एक व्यक्ति की गिरकर मौत हो गई। इस घटना से मृतक के परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। मजदूर को उपचार के लिए दो अस्पतालों में ले जाया गया। दोनों अस्पतालों से उसे रेफर कर दिया गया। और कई घंटे तक तड़पने के बाद मजदूर ने दम तोड़ दिया।

 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्राम भेटुली निवासी 36 वर्षीय नीरज पिलख्वाल रोज की तरह मंदिर में काम कर रहा था। शुक्रवार की शाम करीब पौन 4 बजे कार्य करने के दौरान वह ऊँचाई से गिर गया था। गिरने पर उसकी सिर में गंभीर चोटें आ गई और सिर से काफी खून बहने लगा।

 

गैराड़ मंदिर समिति के अध्यक्ष रमेश बिष्ट ने बताया कि घायल मजदूर को तुरंत सीएचसी ताकुला ले जाया गया। जहां सिर में टॉंके लगाने के बाद डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर अल्मोड़ा के लिए रेफर कर ​दिया। जिसके बाद एंबुलेंस की मदद से घायल को शाम करीब 6:30 बजे मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल लाया गया। आरोप है कि बेस अस्पताल में भी प्राथमिक उपचार के बाद घायल को हायर सेंटर रेफर कर दिया। लेकिन हायर सेंटर ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिल पाई।

 

सूचना के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के प्रतिनिधि जगदीश नगरकोटी बेस अस्पताल पहुंचे। नगरकोटी ने बताया कि चिकित्सकों के मुताबिक घायल के सिर पर ब्लड क्लॉटिंग हो गई थी और उसके प्लस रेट भी लगाकर गिर रहे थे। हायर सेंटर हल्द्वानी ले जाने के लिए 108 आपातकालीन सेवा को फोन किया गया। लेकिन उन्होंने एम्बुलेंस नहीं होने की बात कही। उनका आरोप है कि इस मामले को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों और सीएमओ से दूरभाष पर संपर्क करने की कोशिश की तो सीएमओ का फोन स्वीच आफ था और जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा फोन रिसीव नहीं किए गए। रात करीब 10 बजे बेस अस्पताल में ही घायल मजदूर की मौत हो गई। नगरकोटी ने कहा कि मानसून काल चल रहा है। जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों का ऐसे समय में फोन स्वीच आफ होना और रिसीव नहीं करना अपने दायित्वों के प्रति लापरवाही है।

 

जगदीश नगरकोटी व अन्य लोगों द्वारा रात करीब 3 बजे निजी वाहन से नीरज का शव उसके गांव पहुंचाया। नीरज की मौत के बाद उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया। मृतक के दो छोटे बच्चे है। परिवार की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। इस दुखद घटना के बाद परिजनों का रो रोक बुरा हाल है।

उधर, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का पक्ष जानने के लिए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सीपी भैसोड़ा से दूरभाष से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

 

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