Breaking News
Pc tiwari uppa
P c tiwari, uppa

मनरेगा के मूल उद्देश्य को कमजोर करने की साजिश, नई श्रम संहिताओं और जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करेगी उपपा

अल्मोड़ा: उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) ने केंद्र व राज्य सरकार की जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक संघर्ष छेड़ने का ऐलान किया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि इन सभी विषयों पर पार्टी समान विचारधारा वाले संगठनों से पार्टी संवाद में है। पार्टी द्वारा इस संघर्ष में उत्तराखंड के सभी जनपक्षधर और प्रगतिशील संगठनों को शामिल कर न्याय की जीत सुनिश्चित की जाएगी।

 

पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी, प्रधान महासचिव प्रभात ध्यानी एवं महासचिव नरेश नौड़ियाल ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए देश और प्रदेश की जनता से अपील की है कि केंद्र सरकार की उन नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की जाए, जो गरीब, मजदूर और ग्रामीण समुदायों के अधिकारों पर सीधा हमला कर रही हैं। ये नीतियां लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर कर कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता दे रही हैं और आम जनता को हाशिये पर धकेल रही हैं। उपपा इन अन्यायपूर्ण कदमों की कड़ी निंदा करती है और जनता से इनके खिलाफ एकजुट प्रतिरोध का आह्वान करती है।

 

उपपा नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में किए गए बदलाव राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों और ग्रामीण भारत के करोड़ों परिवारों की आजीविका पर सीधा हमला हैं। यह योजना ग्रामीण गरीबों को रोजगार और सम्मानजनक जीवन की गारंटी देती थी, जिसे कमजोर करना देश के साथ धोखा है।

सरकार मनरेगा के मूल उद्देश्य को समाप्त कर इसे कॉर्पोरेट हितों के अनुरूप ढालने की साजिश कर रही है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। उपपा मनरेगा को उसके मूल स्वरूप में बनाए रखने और इसे और मजबूत करने की मांग करती है।

 

सरकार द्वारा मनरेगा में किए गए बदलाव, जैसे कार्यदिवसों में कटौती, मजदूरी भुगतान में देरी या कमी, और बजट में लगातार कटौती—ग्रामीण मजदूरों के अधिकार छीनने का प्रयास हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था तबाह होगी और बेरोजगारी बढ़ेगी। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य, जहां पहले से ही रोजगार के अवसर सीमित हैं, वहां ये बदलाव आत्मघाती सिद्ध होंगे। उपपा इन सभी जन-विरोधी प्रावधानों को तत्काल वापस लेने की मांग करती है।

उपपा नेताओं ने कहा, 2020 में पारित चार नई श्रम संहिताएं, कोड ऑन वेजेज, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड तथा सोशल सिक्योरिटी कोड, मजदूरों के अधिकारों को कमजोर कर रही हैं। इनमें हड़ताल के अधिकार को सीमित करना, छंटनी को आसान बनाना और कॉर्पोरेट्स को अनुचित छूट देना शामिल है। इससे मजदूरों की सौदेबाजी की ताकत खत्म हो रही है और सामाजिक-आर्थिक असमानता बढ़ रही है। उपपा ने श्रम संहिताओं को रद्द करने तथा मजदूर-हितैषी संशोधन की मांग की है।

 

उपपा ने कहा उत्तराखंड में अतिक्रमण के नाम पर गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों के वर्षों पुराने घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। यह तथाकथित ‘बुलडोजर राज’ गरीबों को बेघर करने की नीति है, जबकि बड़े कॉर्पोरेट और प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमणों पर चुप्पी साधी जा रही है। हल्द्वानी, देहरादून, रामनगर सहित कई क्षेत्रों में हजारों परिवारों को बिना सुनवाई और उचित पुनर्वास के उजाड़ा गया है। यह न केवल अमानवीय है, बल्कि मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन भी है। उपपा मांग करती है कि ऐसे अभियान तत्काल रोके जाएं, प्रभावित परिवारों को न्याय और पुनर्वास मिले तथा गरीबों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।

 

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने कहा पार्टी इन सभी मुद्दों पर व्यापक जन आंदोलन छेड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों से अपील कि हैं कि वे इन अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ एकजुट हों। कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता की सेवक होती है, कॉर्पोरेट्स की नहीं।

 

 

Check Also

बिनसर सेंचुरी के नजदीकी गांवों में जंगली जानवरों की बढ़ती चहलकदमी पर जताई चिंता, ग्रामीणों से सावधानी बरतने की अपील

अन्य इलाकों में पकड़े गए तेंदुओं को बिनसर में छोड़ने की ग्रामीणों ने जताई आशंका …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *