इंडिया भारत न्यूज डेस्क कुमाउंनी भाषा की सेवा के लिए अपनी सेवानिवृत्ति से तीन वर्ष पूर्व नौकरी छोड़, पेंशन से न केवल कुमाउंनी साहित्य छपवाकर बल्कि कुमाउंनी में दुदबोली पत्रिका निकालने वाले मथुरादत्त मठपाल की आज 83 जयंती है। 29 जून 1941 को अल्मोड़ा जिले के भिकियासैण के नौला गांव …
Read More »ओपनियन
रोमांचकारी किस्से: भाग 2- मुझे मिग-21 चाहिए… beg–borrow or steal
सन 1960-61 के दिनों में यह अजीबोगरीब मांग किसी नादान बच्चे की अपने पिता की गयी जिद नहीं थी, जो मिग 21 से खिलौने की तरह खेलना चाहता था। यह मांग थी एझेर वाइज़मैन की, जो इजराइल की वायु सेना के मुखिया थे और जिससे जिद की गयी थी, वह …
Read More »रोमांचकारी किस्से: भाग 1- जब दुश्मन के क्षेत्र में मीलों अंदर घुस कर पूरा राडार ही उठा लिया गया…
साल 1969, दिसम्बर अरब इजराइल युद्द (जिसे इतिहास में six days war के नाम से जाना जाता है)। मिश्र की सेना के पास उस समय का आधुनिकतम राडार P-12 (जिसे नाटो देशों ने स्पून रेस्ट र राडार- “Spoon Rest A का कोड नाम दिया हुआ था) था। 300 किमी की …
Read More »त्वरित टिप्पणी… ‘मुलायम’ सरकार की ‘धाकड़’ पुलिस
कातिलाना हमले की धारा…। अंग्रेजी हुकूमत के समय के कानून 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा…। पीपीडी एक्ट और तमाम अन्य धाराएं। जैसी की आशंका थी, पुलिस ने युवाओं के आंदोलन को कुचलने के लिए वही किया। 13 युवा नेतृत्वकर्ताओं को संगीन धाराओं में जेल में डाल दिया। मगर, …
Read More »जोशीमठ का संदेश- सीमाएं तय करनी जरूरी हैं… निरंकुश विकास रावण बन जाता है
बहुत वर्ष पहले एक विज्ञापन आया था, नैनो कार का था- टाटा का सपना, हर मुट्ठी में एक चाभी (कार की)। विज्ञापन निसंदेह लुभावना था, लोभ शब्द से बना है लुभावना। हम यह भी चाहते हैं कि हरेक के पास अपनी कार हो और हम पर्यावरण खराब होने, बढ़ते प्रदूषण …
Read More »देघाट गोलीकांड की बरसी पर विशेष: भारत छोड़ो आंदोलन का एक अविस्मरणीय पड़ाव
भारत छोड़ो आंदोलन में उत्तराखंड की महत्वपूर्ण भूमिका रही। देघाट, सालम और सल्ट की क्रान्तियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति प्रदान की। पहाड़ में 1910 के बाद अंग्रेजी हुकूमत द्वारा जनविरोधी कानूनों को जबरन थोपने के खिलाफ स्थानीय स्तर पर लोगों में असंतोष पनप रहा था। हालांकि इसके बीज …
Read More »वो आविष्कार, जिन्होंने भारतीय समाज को इंडिया बना दिया..
सन अस्सी का दशक अभी शुरू ही हो रहा था। गाँव, गलियां, मोहल्ले, कस्बे, नुक्कड़, चौपाल जीवंत थे। पार्क , बगीचों, खाली मैदान बच्चों की धमाचौकड़ी से खिलखिलाते रहते थे। गाँव के चौपाल ठहाकों से गूंजते थे, पेड़ों पर लड़कियां झूलती थीं, नुक्कड़ पर पान की दुकान-चाय के खोखे चहलपहल …
Read More »अधमरे सिस्टम में क्या जिन्दा और क्या मुर्दा..?
खबर थी कि मृत शिक्षक का तबादला कर दिया गया। यह कोई नयी खबर नहीं है, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, पहले भी हो चुका है और सूरते हाल यही रहे (नयी शिक्षा नीति लागू होने के बावजूद) तो आगे भी होता रहेगा। चार वर्ष तक किसी को पता …
Read More »पुण्यतिथि पर विशेष.. पहाड़ की संवेदनाओं के कवि कन्हैयालाल डंडरियाल
हमारे कुछ साथी उन दिनों एक अखबार निकाल रहे थे। दिनेश जोशी के संपादन में लक्ष्मीनगर से ‘शैल-स्वर’ नाम से पाक्षिक अखबार निकल रहा था। मैं भी उसमें सहयोग करता था। बल्कि, संपादक के रूप में मेरा ही नाम जाता था। यह 2004 की बात है। हमारे मित्र शिवचरण मुंडेपी …
Read More »‘विद्यालयों को प्रयोगशाला नहीं ज्ञानार्जन का केंद्र बने रहने दें सरकार’.. पढ़ें डॉ. गिरीश चंद्र तिवारी की यह टिप्पणी
इंडिया भारत न्यूज डेस्क, 23 मई, 2022 उत्तराखंड बनने से अगर कोई विभाग प्रभावित हुआ तो सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग। इस विभाग में आये दिन नित नये-नये प्रयोग आजमाने में मंत्री, अधिकारी तथा मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। विभाग द्वारा विद्यालयी विकास के लिए सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय …
Read More »