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फोटो- 2. वह मिग-21 अब इजराइली वायुसेना के म्यूजियम में रखा हुआ है।

रोमांचकारी किस्से: भाग 2- मुझे मिग-21 चाहिए… beg–borrow or steal

सन 1960-61 के दिनों में यह अजीबोगरीब मांग किसी नादान बच्चे की अपने पिता की गयी जिद नहीं थी, जो मिग 21 से खिलौने की तरह खेलना चाहता था। यह मांग थी एझेर वाइज़मैन की, जो इजराइल की वायु सेना के मुखिया थे और जिससे जिद की गयी थी, वह थे मीर अमित–इजराइली ख़ुफ़िया संस्था मोसाद के मुखिया।

सन 1956 में जब सोवियत संघ के लड़ाकू विमान मिग-21 ने पहली बार दुनिया के सामने उड़ान भरी तो वह उस समय का सबसे तेज-सबसे घातक लड़ाकू जहाज था। मिग-21 दुनिया का पहला ऐसा विमान था, जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ते हुए हमला करने में सक्षम था। गति साथ ही इसकी चपलता (हवा में कलाबाजी खाने की क्षमता) अद्वितीय थी। मिग–21 दुनिया में सबसे तेज गति के साथ दुनिया के सभी लड़ाकू विमानों में सबसे कम वजन (लगभग 1 टन कम) का भी था। अमेरिका सहित नाटो देशों के पास इसका कोई मुकाबला न था।

सोवियत संघ ने यह विमान ईराक सहित कुछ ही अरब देशों को दिया था, जो कि इजराइल के दुश्मन थे। इजराइल जानता था कि आने वाले समय में उसे जल्दी ही अरब देशों से युद्ध लड़ना ही होगा। लेकिन अरब देशों के पास मौजूद मिग-21 उसके लिए चिंता का विषय था।

एझेर वाइज़मैन ने इस समस्या का एक हल सोचा–हल था मिग-21 को ही उठा लाना और इसके लिए उन्होंने मोसाद के मुखिया से यह अजीबोगरीब से लगने वाली मांग रखी।

मीर अमित ने इस कार्य के लिए जो योजना बनायी, उसका कोड नाम रखा गया ‘आपरेशन डायमंड’

फोटो – 1. मिग-21

फोटो – 1. मिग-21 को लाने की यह घटना लगभग ऐसी ही थी जैसे असंभव कारनामें जेम्स बांड की फिल्मों में जेम्स बांड किया करता है। इजराइल ने बाद में यह मिग अमेरिका को दिया ..ताकि अमेरिकी वैज्ञानिक इसकी जांच कर सकें। अमेरिका ने इस मिग का नंबर बदल कर 007 (जो कि जेम्स बांड का कोड नंबर है) कर दिया। तब प्रसिद्द अभिनेता सीन कानेरी (जो कि जेम्स बांड की भूमिकाओं के विश्वविख्यात है) ने इस जहाज के साथ फोटो खिंचवाई थी।

 

‘आपरेशन डायमंड’ के तहत सबसे पहले मिश्र में प्रयास किया गया। मिश्र में मौजूद इजराइली जासूस जीन थामस को यह काम दिया गया। जीन थामस ने मिश्र के एक पायलट को खरीदना चाहा। सौदा हुआ एक मिलियन अमेरिकी डालर में। सौदे के अनुसार उस पायलट को मिश्र के हवाई अड्डे से मिग-21 लेकर अभ्यास उड़ान के लिए उड़ना था और अचानक रास्ता बदल कर इजराइल लैंड करना था।

सब कुछ तय हो गया। लेकिन मिश्र का पायलट देशभक्त थे। वह इजराइल के जासूस को रंगे हाथ पकड़वाने का खेल रच रहा था। उसने अपने अधिकारियों को बता दिया और जीन थामस अपने साथियों–परिवार सहित पकड़ा गया। थामस और उसके दो साथियों को मृत्यु दंड मिला और बाकी को जेल में लम्बी सजा।

अब कोशिश की गयी इराक में। सन 1964 में ईराक में काम कर रहे इजराइल के एक जासूस ने सुराग दिया कि इराकी वायुसेना का एक फाइटर पायलट वहां की सरकार की नस्ल भेदी नीतियों से नाखुश है। यह पायलट था मुनीर रफा। मुनीर रफा और देश में मिग 21 का सबसे बेहतर पायलट होने के बावजूद उसका प्रमोशन सिर्फ इसलिए नहीं किया गया, क्योंकि वह गैर मुस्लिम–ईसाई था। प्रमोशन के लिए नजरअंदाज किये जाने के अलावा उसे एक पुराने मिग-17 को उड़ाने का कार्य दिया गया था।

इजराइली जासूसों ने मुनीर से मित्रता बढ़ाई। उसे सांचे में ढाला। जब वह तैयार हो गया तो एक योजना के तहत बड़ी ही सावधानी से उसके परिवार को इराक से बाहर निकाल लाया गया। दिन और समय पहले से ही तय थे।

17 जुलाई 1966 यूरोप में इजराइल के ख़ुफ़िया अड्डे को मुनीर का सन्देश मिला। उड़ान की तारीख तय हुई 14 अगस्त।

14 अगस्त को मुनीर ने उड़ान भरी। कुछ ही मिनट हुए कि काकपिट में धुंवा भर गया। मुनीर को वापिस आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। इजराइल में इन्तजार कर रहे लोगों की धड़कने असमान्य हो रही थीं।

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16 अगस्त 1966 को मुनीर ने फिर से उड़ान भरी। कुछ समय तक निश्चित रास्ते पर सामान्य गति से उड़ने के बाद उसने रास्ता बदला और अपनी अधिकतम गति से इजराइल की तरफ बढ़ गया।

इजराइल में इस बारे में गिने चुने लोगों को ही पता था। सभी रडार–मिसाइल–लड़ाकू जहाज यूनिट्स को आदेश दे दिए गए थे कि आज किसी भी अनजान गतिविधि के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करनी है। कहीं ऐसा न हो गलती से कोई मुनीर के जहाज को ही गिरा दे।

इजराइली राडार पर मुनीर का जहाज दिखा। उसने इजराइली वायु सीमा में प्रवेश किया। सुरक्षा के लिए इजराइल के सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू पायलटों में एक रेन पैकर अपने एक और साथी पायलट के साथ उसे इस्कोर्ट कर रहा था।

ईराक में अपने अड्डे से उड़ान भरने के ठीक 65 मिनट बाद मुनीर इजराइली वायुसेना के अड्डे में सुरक्षित उतर चुका था।

एक नया इतिहास रचा जा चुका था। मिग-21, जो कि सोवियत वायुसेना के स्वर्णिम मुकुट का हीरा समझा जाता था। अब इजराइल के हाथों में था। आपरेशन डायमंड सफल हो चुका था।

 

 

(रोमांचकारी किस्से में कल- जब अमेरिकी जासूसी विमान गिरा दिया गया…)

 

लेखक-

मुकेश प्रसाद बहुगुणा
(लेखक भारतीय वायुसेना से रिटायर्ड है। वर्तमान में राजकीय इंटर कॉलेज मुंडनेश्वर, पौड़ी गढ़वाल में प्रवक्ता पद पर कार्यरत है)

 

 

 

 

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