साल 1969, दिसम्बर अरब इजराइल युद्द (जिसे इतिहास में six days war के नाम से जाना जाता है)। मिश्र की सेना के पास उस समय का आधुनिकतम राडार P-12 (जिसे नाटो देशों ने स्पून रेस्ट र राडार- “Spoon Rest A का कोड नाम दिया हुआ था) था। 300 किमी की दूरी और एक लाख फीट उंचाई तक किसी भी हवाई जहाज को देख सकने की क्षमता रखने वाले इस रडार की खासियत यह थी कि इसे जाम करना अत्यंत ही मुश्किल था और इसकी निगाह से बचना ना-मुमकिन। वियतनाम युद्द में इस राडार के कारण अमेरिका को अपने बहुत से जहाज खोने पड़े थे। सोवियत संघ में बना यह राडार अमेरिका और उसके मित्र देशों के लिए एक अबूझ दुर्भेद्य पहेली था।
इजराइली सेना ने इस अबूझ पहेली का हल निकालने का जो तरीका इस्तेमाल किया वह अपने आप में न सिर्फ अनोखा–अभूतपूर्व था, बल्कि अत्यंत ही जोखिम से भरा भी। उन्होंने मिश्र के वायुसेना ठिकाने पर हमला कर पूरे राडार को ही उठा कर इजराइल लाने की ठानी।
इस अभियान का नाम दिया गया था– Operation Rooster 53
26 दिसंबर 1969 की रात, इजराइली वायु सेना के बमवर्षक हवाई जहाज़ों ने मिश्र के ठिकानों पर हमला करना शुरू कर दिया। हमलावर लड़ाकू जहाजों के शोर, बमों की भारी धमक और राकेट-गोलों की आग की चमक के बीच इजराइली कमांडो कई हजार फीट की ऊँचाई से पैराशूट के माध्यम से P-12 राडार यूनिट पर कब्ज़ा करने के इरादे से कूदे। कमांडो यूनिट का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल एरी सिडान और उनके नायब मेजर रुबिन कर रहे थे। कमांडो ने अचानक हमला कर P-12 राडार यूनिट पर कब्ज़ा कर लिया।
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यहाँ तक का अभियान तो फौजी इतिहास के अनुसार एक सामान्य बात थी, जो दुनिया की अधिकतर सेनायें करती आई हैं। किन्तु इससे आगे जो हुआ, उसने सैन्य अभियानों के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया।
P-12 राडार यांत्रिक रूप से खोला और जोड़ा जा सकने वाला (Highly mobile radar system) है। इसे लगभग एक घंटे में खोला (dismental) और जोड़ा (assemble) किया जा सकता है। इजराइली कमांडो ने दुश्मन के क्षेत्र में अंदर घुस कर राडार पर कब्ज़ा तो कर लिया था, किन्तु मीलों दूर अपने देश में ले कैसे जाएँ? इनमें से कोई भी इसे खोलने–जोड़ने के लिए प्रशिक्षित न था। सैन्य नेतृत्व ने इस समस्या का समाधान पहले ही सोचा रखा था। सिगनल मिलते ही इजराइली वायुसेना के भारी सामान ढोने क्षमता रखने वाले दो हेलीकाप्टर (CH 53) उड़े। मिस्र में P-12 राडार यूनिट पहुंचे, और राडार को उठा कर इजराइल ले आये।
इस अभियान के सह-नेता मेजर डोरोन रुबिन आगे चल कर जरनल पद तक पहुंचे।
(रोमांचकारी किस्से में कल…. दुनिया की सबसे अजीब-असंभव मांग- मुझे मिग- 21 चाहिए.. beg–borrow or steal)
लेखक-
मुकेश प्रसाद बहुगुणा
(लेखक अपनी भारतीय वायुसेना की सेवा के दौरान P-12 और इसके उन्नत माडल P-18 राडार पर कई वर्ष तक कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में राजकीय इंटर कॉलेज मुंडनेश्वर, पौड़ी गढ़वाल में प्रवक्ता पद पर कार्यरत है)