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‘नशा नहीं, रोजगार दो’ आंदोलन ने देश व राज्य को दी दिशाः तिवारी

अल्मोड़ा। बसभीड़ा चौखुटिया में नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन की 41वीं वर्षगांठ मना गई। नशे की बढ़ती संस्कृति के खिलाफ तमाम सामाजिक, राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग कार्यक्रम स्थल पर एकत्रित हुए। और सरकार से प्राथमिकता के तौर पर नशे के तमाम माध्यमों और स्रोतों पर सख्ती से रोक लगाने तथा रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की।

उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष और नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन समिति के पीसी तिवारी ने कहा कि 41 वर्ष पूर्व दो फरवरी 1984 को इसी स्थान पर नशे के खिलाफ एक जन आंदोलन की शुरुआत हुई थी जिसने राज्य और देश को एक दिशा दी और इतिहास में अपनी जगह बनाई। यह आंदोलन अपने दौर में एक सशक्त आंदोलन के रूप में उभरा। जिसने समाज में नशे के प्रतिकार के लिए मुखर आवाज उठाई। उन्होंने तमाम जन संगठनों से इस अभियान के साथ जुड़ने की और एकजुट होने की अपील की।

उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डीके जोशी ने कहा कि वे कई वर्षों से व्यसन मुक्त समाज का सपना लिए काम कर रहे हैं जिसकी प्रेरणा कहीं ना कहीं ऐसे आंदोलन और अभियान हैं जो नशे के खिलाफ संचालित किए गए हैं।

क्षेत्र के 94वें वर्षीय वरिष्ठ साथी वह भूतपूर्व ब्लॉक प्रमुख नन्दन सिंह मनराल ने कहा कि वे इस आंदोलन के साक्षी रहे हैं और आज समाज को बचाने के लिए नशे को जड़ से उखाड़ना होगा।

यहां उपपा के महासचिव नरेश नौड़ियाल, नारायण राम, दया कृष्ण कांडपाल, भुवन, अनीता गोस्वामी, दीपा तिवारी, जगदीश ममगई, भारती पांडे, पवन तिवारी, ममता बिष्ट, ममता जोशी, आलोक पाठक, किरन आर्या, सौरभ तिवारी समेत कई लोग मौजूद रहे।

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