अल्मोड़ा: नगरपालिका में ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल कर नगर निगम बनाने के सरकार के फैसले का विरोध तेज हो गया है। ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष धीरेंद्र गैलाकोटी के नेतृत्व में शनिवार को ग्राम प्रधानों ने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार ने शीघ्र फैसला वापस नहीं लिया तो वह उग्र आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगें।
सीएम को भेजे ज्ञापन में कहा कि प्रदेश सरकार ने हवालबाग ब्लॉक के 25 ग्राम पंचायतों को बिना लोगों की सहमति के जबरन नगर पालिका में शामिल करने का फैसला लिया है। जिसका समस्त ग्रामीण व जनप्रतिनिधि विरोध करते हैं।
ज्ञापन में कहा कि ग्राम सभाओं में 80 प्रतिशत बेरोजगारी है। ग्रामीण मजदूरी पर जीवन यापन करने को मजबूर है। जो नगरपालिका के कर का वहन करने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा गांवों में अधिकतर परिवार बीपीएल, अन्तोदय व मनरेगा जॉब कार्ड धारक है। जिनका जीवन यापन पशुपालन कृषि व मजदूरी पर निर्भर है। जिससे ग्रामीणों के सामने आर्थिक संकट समेत अन्य दिक्कतें खड़ी होंगी। मनरेगा व पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत गांवों में विकास किये जा रहे हैं, जिससे गरीब जनता को लाभान्वित किया जा रहा है। गांवों के नगरपालिका में शामिल होने से मनरेगा जैसी रोजगार परक योजना से ग्रामीणों को वंचित रहना पड़ेगा।
ग्राम प्रधानों ने सीएम से परिसीमन पर रोक लगाने की मांग की है। कहा कि अगर फैसले पर रोक नहीं लगाई जाती है तो स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीण धरना-प्रदर्शन व जुलूस निकालने के साथ ही उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
ज्ञापन सौंपने वालों में प्रधान देवेंद्र सिंह बिष्ट, राजेंद्र सिंह, किशन सिंह, पिंकी बिष्ट, विपिन बिष्ट, ममता रावत, हरीश रावत, राधा देवी समेत कई ग्राम प्रधान मौजूद रहे।