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Paris Olympics 2024: मेडल हाथ से फिसला, लक्ष्य सेन पहला गेम जीतकर भी हारे मैच

नई दिल्ली: भारतीय टीम के स्टार बैडमिंटन प्लेयर लक्ष्य सेन का पेरिस ओलंपिक 2024 में मेडल जीतने का सपना टूट गया है। बैडमिंटन मेंस सिंगल के ब्रॉन्ज मेडल मुक़ाबले में भारतीय स्टार शटलर लक्ष्य सेन को मलयेशिया के ली जी जिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। 71 मिनट तक चले इस मुक़ाबले में ली जी जिया ने पहला गेम हारने के बाद लक्ष्य को 21-13, 16- 21 और 21- 11 से हराते हुए इतिहास रच दिया।

 

पहले सेट में किया धमाकेदार प्रदर्शन

भारत के युवा स्टार लक्ष्य सेन शुरुआत से ही अपने प्रतिद्वंदी पर भारी नजर आए। मुकाबले की शुरुआत से ही लक्ष्य ने आक्रमण खेल का प्रदर्शन किया और मिड ब्रेक तक 11-7 के साथ बढ़त बना ली। सेन के दनदनाते हुए स्मैश का ली जी जिया के पास कोई जवाब नहीं था। सेन ने अपना शानदार खेल जारी रखा और पहले सेट आसानी से 21-13 से अपने नाम कर लिया।

 

लड़कर हारे लक्ष्य सेन

पहला गेम एकतरफा अंदाज में 21-13 से जीतने के बाद दूसरे गेम में भी लक्ष्य सेन का दबदबा साफतौर पर देखा जा सकता था। पूरे मैच में मलेशिया के ली जी जिया पहली बार दूसरे गेम में ही लीड ले पाए, जब उन्होंने पीछे से आते हुए स्कोर 9-8 किया, ये लीड देखते ही देखते उनके पक्ष में 12-8 हो गई, लक्ष्य सेन ने लगातार चार पॉइंट लेते हुए वापसी की पूरी कोशिश की, लेकिन दूसरा गेम वह 16-21 से हार गए।

 

तीसरे सेट में लक्ष्य हुए चोटिल

भारत के लक्ष्य सेन और मलेशिया के ली जी जिया के बीच तीसरे सेट में कड़ा मुकाबला हुआ। मलेशियाई खिलाड़ी इस सेट में लक्ष्य सेन पर भारी नजर आए क्योंकि लक्ष्य के दाएं हाथ मे दर्द हो रहा था। दर्द के बावजूद लक्ष्य ने हिम्मत नहीं हारी और मुकाबला जारी रखा। लेकिन, उनके इतने प्रयास भारत को पदक दिलाने के लिए नाकाफी थे। मलेशिया के ली जी जिया ने तीसरा सेट 21-11 से जीता और ब्रॉन्ज मेडल पर अपना कब्जा जमा लिया।

 

पिता और दादा भी बैडमिंटन खिलाड़ी

लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त 2001 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ। बैडमिंटन उन्हें विरासत में मिली। उनके पिता व कोच डी के सेन अपने दौर के नामी खिलाड़ी थे। दादा चंद्र लाल सेन भी आजादी के दौर में दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी रहे। महज पांच साल की उम्र में लक्ष्य पहली बार अपने पिता का हाथ थामकर बैडमिंटन कोर्ट पहुंचे थे। उत्तराखंड में ज्यादा सुविधा न होने के चलते पिता ने सात साल की उम्र में लक्ष्य और उनके बड़े भाई को बेंगलुरु भेज दिया। जहां प्रकाश पादुकोण एकेडमी में लक्ष्य की बैडमिंटन स्किल्स और पॉलिश हुई।

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