अल्मोड़ा। भिकियासैंण में चकबंदी करवाने और अपने खेतों को गोल खातों से अलग करवाने की मुहिम को लेकर बैठक आयोजित की गई। जिसमें ग्राम सभा नूना, सूनी, दनपौ, चौड़ा, निगराली, कोट असवाल, तया, गुजरगड़ी, डढ़ूली, उगलिया, पिपलिया, नेपाल कोट, फलसो सहित 15 ग्राम सभाओं के ग्रामीण एकत्रित हुए।
पर्वतीय कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन तथा उत्तराखंड चकबंदी मंच के संयुक्त बैनर तले हुई बैठक में संगठन के सचिव दीपक करगेती ने कहा कि वर्तमान में अधिकतर भूमि बंजर है। निजी खेत दूर दूर बिखरे हैं, जिस कारण ग्रामीण अपनी भूमि का सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं यदि चकबंदी हो जाती है तो सभी अपने खेतों में होम स्टे के साथ ही अनेकों कार्य एक साथ कर सकते हैं।
ज्येष्ठ प्रमुख संजय गड़ाकोटी ने ग्रामीणों को बताया कि यह ग्राम सभाओं में अंतिम पीढ़ी है जिसे अपने खेत खलिहान की जानकारी है यदि चकबंदी के लिए हम आगे नहीं आए तो हमारी नई पीढ़ी को खेतों का पता भी नहीं लगेगा और सक्रिय भू माफिया तुम्हारी जमीनों को बेचकर यहां से चले जाएंगे। ग्राम प्रधान उमेश करगेती ने कहा कि गोल खातों से अपने खेतों को बाहर निकालने के बाद हम अपने पारिवारिक विवादों से भी बच जाएंगे। ग्राम प्रधान सुरेश असवाल ने कहा कि चकबंदी के प्रस्ताव गांव गांव से जाने चाहिए जितने अधिक प्रस्ताव जायेंगे उतनी ही तेज मुहिम होगी।
तहसील प्रशासन के नाम 150 से अधिक प्रार्थना पत्र ग्राम वासियों द्वारा भरे गए। जिसके रजिस्ट्री करवाने के शुल्क इत्यादि खर्चे की जिम्मेदारी पर्वतीय कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन ने ली है।
यहां केवलानंद तिवाड़ी, संगठन के अध्यक्ष बीरबान सिंह रावत, कोषाध्यक्ष कौशल रावत, उपाध्यक्ष दीपक ढौंढियाल, अनूप पटवाल, विजय पाल, कांति चंद, तान सिंह नेगी, बीएस मनराल, संजय गड़ाकोटी, हेम सती, गणेश शर्मा, जगत सिंह गड़ाकोटी, रघुवर दत्त, कैलाश चंद्र करगेती, जगत पाल सिंह नेगी, रणजीत सिंह, गिरधर कड़ाकोटी, देव सिंह मनराल, कपिल कड़ाकोटी, उदय रावत, ललित बिष्ट, खष्टी देवी, खिमुली देवी, आशा देवी, जीवंती देवी, भुवन उपाध्याय, देव उपाध्याय सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।