अल्मोड़ा। जिले के इतिहास में चार नंवबर सोमवार का दिन बहुत दूर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ। दीपावली पर्व के विदाई पर सल्ट के मरचूला से हुई दिल दहला देने वाली घटना से हर कोई स्तब्ध और दुखी है। घटना से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद एक बार फिर सड़क सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
सल्ट में कूपी क्षेत्र में हुए हादसे में 36 लोगों काल के गाल में समा गए। जबकि कई लोग अस्पताल में मौत व जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे है। सल्ट क्षेत्र में यह पहला सड़क हादसा नहीं है। 13 मार्च 2018 को देघाट से रामनगर जा रही बस खोलियाधार टोटाम के पास करीब 250 मीटर गहरी खाई में गिर गई थी। इस हादसे में बस चालक समेत 13 यात्रियों की मौत हुई थी। जबकि 14 से अधिक यात्री घायल हुए थे। इसके अलावा 25 मई 2016 को सल्ट मछोड़ में जीएमओयू की बस खाई में गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। जिसमें 13 से अधिक लोग घायल हुए थे।
सवाल उठता है कि उत्तराखंड में आखिर ऐसे हादसों की वजह क्या है। किसकी गलती से इतने लोगों की जानें चली जाती हैं। इसके लिए वास्तव में जिम्मेदार कौन है। पहाड़ी मार्ग और बड़ी-बड़ी खाई के कई सुरक्षा संबधी चूक भी इन हादसों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। एक तरफ जहां ड्राइवरों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन की लापरवाही भी कम दोषी नहीं है। कई जगह सड़कों की खराब स्थिति भी सड़क हादसे की बड़ी वजह बन कर सामने आती है। सरकार की तरफ से कई कदम उठाए तो जाते है लेकिन धरातल पर उन पर काम नहीं हो पाता है।
गौर करने वाले बात यह भी है कि सरकार किसी की भी रही हो भाजपा या कांग्रेस। किसी भी सरकार ने उत्तराखंड में सड़क हादसों के मुद्दे को कभी गंभीरता से नहीं लिया। सोमवार सुबह सल्ट में हुए हादसे के बाद सरकार द्वारा संबंधित क्षेत्रों के एआरटीओ को निलंबित करना सिर्फ तात्कालिक निर्णय है। विपक्ष इसे सरकार का अपरिपक्क व सुर्खियों को मैनेज करने वाला निर्णय बता रहा है। सवाल यह भी है कि हमेशा अफसरों की ही जिम्मेदारी तय क्यों की जाती है। किसी मंत्री व जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं होती।
कुल मिलाकर वर्तमान में राज्य में सड़क हादसों को रोकना एक बड़ी चुनौती के तौर पर है। अब देखना होगा कि सरकार सल्ट हादसे से कोई सबक लेती है या फिर पौड़ी के धूमाकोट, अल्मोड़ा के कालीधार या फिर 20 सितंबर 1995 के गंगोत्री हाईवे पर डबराणी में हुई भीषण दुर्घटनाओं की तरह यह भी कटु यादों की तरह बनकर रह जाएगा।
जिलाधिकारी अल्मोड़ा आलोक कुमार पांडेय ने कहा, बस गढ़वाल की ओर से यात्रियों को लेकर आ रही थी, जो रामनगर जा रही थी। हादसा रामनगर एआरटीओ के क्षेत्र में हुआ है। अल्मोड़ा जनपद क्षेत्र में वाहनों में किसी भी तरह की ओवरलोडिंग न हो, इसको लेकर अधिकारियों को पूर्व में सख्त आदेश दिए गए है। ओवरलोडिंग का कोई प्रकरण अगर संज्ञान में आया तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।