इंडिया भारत न्यूज डेस्क। 90 हजार से अधिक मतदाता वाली केदारनाथ विधानसभा की जनता ने शनिवार को अपना जनादेश दिया। जनता ने भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल को अपना विधायक चुना है। इसी के साथ केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भी भाजपा ने दोहराया।
भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को एकतरफा मुकाबले में हरा दिया। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल 5099 वोट से जीत गई है। भाजपा को 23130 और कांग्रेस को 18031 वोट मिले। हालांकि अभी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। आशा की जीत से उत्तराखंड बीजेपी में खुशी की लहर है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपनी प्रत्याशी की जीत की खुशी में पटाखे फोड़े और मिठाई बांटी। सुबह 8 बजे जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो पहले राउंट की काउंटिंग से ही बीजेपी की आशा नौटियाल ने बढ़त बना ली थी। हर राउंड में उनकी बढ़त बढ़ती चली गई। आखिर में जब 14 राउंड की मतगणना पूरी हुई तो बीजेपी की आशा नौटियाल चुनाव जीत चुकी थीं।
तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों को मैदान में उतारा
उपचुनाव का विधिवत एलान से तकरीबन तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों को मैदान में उतार दिया था। युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा और प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी संग विधायक भरत चौधरी का वहां प्रचार थमने तक अधिकतम समय गुजरा है।
सीएम ने पूरी ताकत झोंकी
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी उपचुनाव का रुख भाजपा के पक्ष में कराने को ताकत झोंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आपदा के प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज से लेकर विस क्षेत्र के विकास से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति तक के निर्णय फटाफट लिए। चुनाव की घोषणा से पहले ही केदारनाथ की जनता के बीच बार-बार पहुंचे और प्रचार के आखिरी दिन भी उन्होंने डेरा जमाया।
भाजपा की ये ताकत
प्रदेश और केंद्र में सरकार, केदारनाथ से सीधे पीएम मोदी का जुड़ाव, सीएम, मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारियों का प्रचार उपचुनाव में भाजपा की ताकत बना।
महिला प्रत्याशी पर लगाया दांव
महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला चेहरे आशा नौटियाल पर लगाया गया दांव भाजपा का मजबूत पक्ष बना। भाजपा को उम्मीद थी कि महिला प्रत्याशी पर लगाया गया दांव सही साबित होगा और महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएगा।
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास मामला सूझबूझ से संभाला
नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास भाजपा का कमजोर पक्ष माना जा रहा था, लेकिन सीएम धामी ने इस मामले को बड़ी सूझबूझ से संभाला। और लोगों की नाराजगी को दूर किया।